कोरोना की दूसरी लहर से भारत पीड़ित है। इस वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। कोरोना ने कोरोड़ो लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। पर ऐसा बिल्कुल नहीं है कि, यही महामारी मानव जीवन के लिए संकट बनी है। इससे पहले भी पृथ्वी पर मनुष्यों ने भयावह महामारी का सामाना किया है। बोस्टन के लाइब्रेरी एंड आर्काइव्स द्वारा ऑनलाइन पोस्ट की गई एक मंत्री की डायरी सहित नए डिजीटल रिकॉर्ड से पता चला है कि 1700 के दशक में आए चेचक के विनाशकारी प्रकोप ने हजारों हजार लोगों की जिंगदी लील ली थी।

पोस्ट की गई डायरी के अनुसार 17वीं शताब्दी में अमेरिका के तटों से दूर के इलाकों में भयंकर महामारी फैली थी। अब तीन सदियों बाद कोरोना वायरस प्रकोप के सामने आने के बाद विशेषज्ञ इसकी समानता 3 सदी पहले फैली महामारी से देखकर आश्चर्यचकित हैं। न्यू इंग्लैंड हिस्टोरिक वंशावली सोसायटी के साथ मिलकर काम करते हुए पुराने दस्तावेजों का डिजिटलीकरण का नेतृत्व करने वाले सीएलए के पुरातात्विक लेखपाल जाचारी बोदनार ने कहा, “हम कितने कम बदले हैं।”

चेचक दुनया से जाते-जाते लाखों लोगों को अपने साथ ले गई। कुछ इसी तरह कोरोना वायरस है। इस महामारी से अब तक करोड़ों लोगों की जान जा चुकी है। रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए काम करने वाले यू.एस. केंद्र का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में चेचक का अंतिम प्राकृतिक प्रकोप 1949 में आया था।

1980 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्णय लेने वाली शाखा ने इसे समाप्त करने की घोषणा की, और तब से स्वाभाविक रूप से होने वाले चेचक के कोई मामले सामने नहीं आए हैं। इस तरह से चेचक को खत्म होने पूरे 280 साल का समय लगा था।

1600 के दशक में यूरोप से आए चेचक महामारी के प्रकोप से मूल तौर पर ​​बड़ी संख्या में अमेरिकियों की मौत हुई थी। उस सदी के अंत तक दुनिया में चेचक महामारी के खिलाफ कोई टीका नहीं था। एक अंग्रेज डॉक्टर ने 1897 में चेचक के खिलाफ 4 वर्षीय बच्चे को पहला टीका लगाया था।

चेचक के बाद कोरोना को सबसे अधिक घातक बताया जा रहा है। चेचक का भी टीका मौजुद नहीं था और कोरोना का भी कोई असल टीका नहीं बना है। भारत में कोरोना बड़े स्तर पर तबाही मचा रहा है। सभी देशों में कोरोना टीकी लगाया जा रहा है। लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद भी कई लोग संक्रमित हो रहे हैं।

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