क्या होता है AQI और कैसे यह मापा जाता है?

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शुक्रवार को दूसरे दिन भी दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब बनी रही, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। AQI एक संख्या है, जो वायु गुणवत्ता का माप है। AQI जितना अधिक होगा, हवा उतनी ही खराब होगी। शुक्रवार को सुबह 9 बजे, दिल्ली में AQI औसतन 471 पर था। एक दिन पहले, AQI 400 अंक को पार करने के साथ इस सीज़न में पहली बार हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई थी।

कलर कोडेड AQI सूचकांक भारत में 2014 में लॉन्च किया गया था। यह जनता और सरकार को हवा की स्थिति को समझने में मदद करता है और बताता है कि इसकी गंभीरता के आधार पर स्थिति से निपटने के लिए आगे क्या उपाय किए जाने हैं। AQI की छह श्रेणियां हैं, अर्थात् ‘अच्छी’ (0-50), ‘संतोषजनक’ (50-100), ‘मध्यम प्रदूषित’ (100-200), ‘खराब’ (200-300), ‘बहुत खराब’ ( 300-400), और ‘गंभीर’ (400-500)।

AQI क्या है और यह प्रदूषण की गणना कैसे करता है?

स्वच्छ भारत अभियान के हिस्से के रूप में 2014 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया AQI प्रदूषण को समझने में मदद करने के लिए है। आईआईटी कानपुर और एक विशेषज्ञ समूह ने एक AQI योजना की सिफारिश की थी।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, AQI विभिन्न प्रदूषकों के जटिल वायु गुणवत्ता डेटा को एक एकल संख्या , नाम और कलर में बदल देता है। मापे गए प्रदूषकों में पीएम 10, पीएम 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, कार्बन आदि शामिल हैं।

सूचकांक के पीछे एक गणना होती है। प्रभावित हवा में छह या आठ प्रदूषक होते हैं और इनमें से प्रत्येक प्रदूषक को एक सूत्र के आधार पर वेटेज दी जाती है। वह वेटेज इस बात पर निर्भर करती है कि उसका मानव स्वास्थ्य पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ता है। इनमें से सबसे खराब वेटेज वायु गुणवत्ता के रूप में दी जाती है। इसलिए आपको छह अलग-अलग संख्याएं और छह अलग-अलग कलर की बजाय सिर्फ एक कलर एक संख्या बता दी जाती है। देशभर के निगरानी स्टेशन इन लेवल का आकलन करते हैं।

इन प्रदूषकों का प्रभाव क्या है?

अधिक हानिकारक प्रदूषकों में छोटे आकार के प्रदूषक शामिल हैं, जैसे पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5। इससे श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं और दृश्यता कम हो जाती है। कणों का पता केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से लगाया जा सकता है क्योंकि वे बहुत छोटे होते हैं।

अपने आकार के कारण, पीएम 2.5 कण आसानी से नाक और गले में जा सकते हैं । यहां तक कि यह आपके खून में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं। ये कण अस्थमा, दिल का दौरा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन समस्याओं जैसी पुरानी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

AQI सरकारी नीति को कैसे प्रभावित करता है?

लेवल के आधार पर, दिल्ली जैसे क्षेत्रों में सरकारें उपायों की घोषणा करती हैं। जैसे ही एनसीआर में AQI गुरुवार को ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण 3 को लागू कर दिया गया। जीआरएपी को विशेष रूप से आपातकालीन उपायों के लिए बनाया गया है जो दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में और गिरावट को रोकने के लिए लागू होते हैं। एक केंद्रीय पैनल ने अधिकारियों को उन डीजल चार पहिया वाहनों के उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया जो बीएस-VI मानक के अनुरूप नहीं हैं। साथ ही दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर भी रोक लगाने का निर्देश दिया है। पेट्रोल कारों पर रोक नहीं है।

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