हाल में दो फिल्में हॉकी पर बनी। पहली फिल्म सूरमा तो बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। दूसरी फिल्म है अक्ष्य कुमार की गोल्ड जो जल्द ही रिलीज होगी। दोनों फिल्मों में हॉकी के जरिए दो रियल लाइफ कैरेक्टरों की कहानी कही गई है। वैसे कुछ साल पहले बनी फिल्म चक दे इंडिया आज भी हॉकी की कल्ट फिल्म मानी जाती है।

सिल्वर स्क्रीन पर हॉकी के मैदान पर गोलियों की तरह गोल जाग कर विरोधी टीम के छक्के छुड़ाने वाले हॉकी के जंगबहादुर की कहानी है सूरमा। ‘सूरमा की कहानी हॉकी के सूरमा और अर्जुन पुरस्कार विजेता संदीप सिंह की है। ‘सूरमा’ का किरदार दिलजीत दोसांझ ने निभाया है। कोच की सख्ती की वजह से 9 साल की उम्र में संदीप ने हॉकी खेलना छोड़ दिया था। लेकिन बड़ा होने के बाद हरप्रीत यानि की तापसी पन्नू के प्यार और उसे हासिल करने की वजह से वो हॉकी स्टिक उठाता है और देश के लिए खेलता है। लेकिन एक हादसे की वजह से उसे गोली लगती है और वो चल-फिर नहीं पाता है। लेकिन फिर से हिम्मत और मेहनत कर वो भारत के लिए खेलता है और जीत दिलाता है। संदीप ने करीब 145 किलोमीटर की स्पीड से ड्रैग फ्लिक कर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। एक अच्छी सपोर्ट्स फिल्म की तरह सूरमा भी दर्शकों को रोमांचित करती है। फिल्म के निर्देशक शाद अली हैं।

एक और फिल्म जो हॉकी पर बनी है। वह है अक्षय कुमार की गोल्ड, जो जल्द ही रिलीज होने वाली है। बॉलीवुड के एक्शन हीरो अक्षय कुमार अपने विभिन्न तरह के किरदार और फ़िल्मो के लिए प्रसिद्ध है। स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म “गोल्ड” में भी अक्षय चुनौती वाले किरदार को निभा रहे हैं। इस फ़िल्म में अक्षय एक बंगाली हॉकी खिलाड़ी की भूमिका निभा रहे हैं।

फिल्म में अक्षय कुमार, हॉकी खिलाड़ी तपन दास की जिंदगी और करियर को बड़े पर्दे पर उतारेंगे। हॉकी में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीतना चाहता थे। वह लंदन में 1948 के ओलंपिक के लिए टीम को ट्रेनिंग देते हैं। अंग्रेजों के खिलाफ अपने मैदान पर मुकाबला करने के लिए सभी एथलीट को प्रेरणा देते हैं। जिसके बाद, भारत आख़िरकार 12 अगस्त, 1948 के दिन स्वर्ण पदक जीत जाता है।

वैसे हॉकी पर बनी फिल्मों पर अब तक की सबसे चर्चित फिल्म रही है शाहरुख खान की ‘चक दे इंडिया’। यश राज फ़िल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म में शाहरुख़ खान ने अपनी रोमांटिक छवि से हटकर एक ऐसे हाकी कोच की भूमिका निभाई जिसका एकमात्र लक्ष्य अपनी टीम को विश्व कप जिताना है। यह एक कोच और उसकी टीम की उम्मीदों, जज्बातो, हिम्मत, साहस और सपनों की कहानी है। अपने ऊपर गद्दारी के लगे आरोपों से लड़ने और पाक साफ निकले की कहानी है।

कभी क्रिकेट और फुटबॉल पर ही फिल्में बनती थी। आज दूसरे खेलों पर भी फिल्म बना कर करोड़ों का दांव लगाया जा रहा है और दर्शक ऐसी फिल्मों को पसंद भी कर रहे हैं।

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