जिसे चाहते हैं राजपूत वो ही बनता है हिमाचल का ‘सिरमौर’, जानें जिले की 5 सीटों का समीकरण

शिलाई विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2017 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। शिलाई विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आती है।

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Delhi MCD Election 2022 की तारीखों का हुआ ऐलान, 4 दिसंबर को होगी वोटिंग, 7 को आएंगे नतीजे
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Himachal Vidhansabha Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के तारीखों को लेकर तस्वीरें साफ हो गई है। राज्य में 12 नवंबर को 68 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। 2017 के आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 5 विधानसभा सीटें हैं। वहीं कांगड़ा में 15 विधानसभा सीटें हैं। कुल्लू में 4 विधानसभा, मंडी जिले में 10 विधानसभा क्षेत्र हैं। हमीरपुर जिले में 6 विधानसभा सीटें हैं। उना व बिलासपुर जिलों में 4-4 विधानसभा सीटें हैं। सिरमौर में 5 विधानसभा सीटें, सोलन में 4 विधानसभा क्षेत्र और शिमला जिले में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं। ऐसे में आपके में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इन जिलों का सियासी समीकरण क्या है? राज्य में कुल कितने मतदाता हैं? तो आइए इस लेख में हम सिरमौर का समीकरण बताते हैं:

हिमाचल प्रदेश में कुल कितने मतदाता

बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के अनुसार राज्य में कुल 25,68,761 पुरूष मतदाता पंजीकृत थे। वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 24,27,166 थी। जबकि कुल वोटरों की संख्या 50,25,941 थी, जो मतदान के लिए पंजीकृत थे। हालांकि, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में यह संख्या बढ़ सकती है। आंकड़े बताते हैं कि हर पांच साल में राज्य में करीब 3 से 5 लाख नये मतदाता जुड़ जाते हैं। मतदान प्रतिशत की बात करें यहां औसतन 70 फीसदी से ज्यादा मतदान होता है।

सिरमौर और शिमला जिले के इन सीटों पर राजपूतों का बोलबाला

हिमाचल प्रदेश की राजनीति में सबसे मजबूत राजपूत जाति का कारक माना जाता है। वहीं, राज्य में दूसरी सबसे बड़ी आबादी समुदाय की दलित है। इस वजह से हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब भाजपा (भाजपा) और कांग्रेस (कांग्रेस) में विशेषकर दलित जाति के मतदाताओं (मतदाताओं) ने अपने प्रयासों में शुरुआत कर दी है। भाजपा दलित मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए दलित सम्मेलन पर जोर दे रही है।

राज्य की दलित आबादी राजपूतों के बाद दूसरी सबसे बड़ी है, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों में से 17 अनुसूचित जाति और 3 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इस कारण से, यह समझा जा सकता है कि राज्य में सत्ता पाने के लिए दलित मतदाताओं का समर्थन होना भी जरूरी है। राज्य के शिमला और सिरमौर क्षेत्र की 17 विधानसभा सीटों में दलित मतदाताओं का सबसे अधिक प्रभाव माना जाता है।

Himachal Election 2022: फाइल फोटो
Himachal Vidhansabha Election

हिमाचल प्रदेश के शिमला और सिरमौर जिलों की 17 विधानसभा सीटों में से 6 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों में रामपुर, रोहड़ू, सोलन, कसौली, पछड़, श्री रेणुकाजी शामिल हैं। शिमला जिले में, अनुसूचित जाति के मतदाता आबादी का लगभग 45 प्रतिशत हैं। तो सिरमौर जिले की पच्छड़ विधानसभा में दलित मतदाताओं की 37 फीसदी आबादी है। 2011 की जनगणना के अनुसार, शिमला और सिरमौर में 30 प्रतिशत से अधिक दलित मतदाता हैं। ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल के लिए दलित जाति को नकारना मुश्किल है। इन दोनों जिलों की 17 विधानसभा सीटों पर दलित मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं। इसी वजह से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपने दलित नेताओं के जरिए इस इलाके में दलित जाति को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश में जाति समीकरण

2011 की जनगणना के अनुसार, हिमाचल में 50 प्रतिशत से अधिक आबादी उच्च जाति के मतदाताओं की है। 50.72 फीसदी की इस आबादी में सबसे ज्यादा 32.72 फीसदी राजपूत और 18 फीसदी ब्राह्मण हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति की जनसंख्या 25.22% और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 5.71% है। राज्य में ओबीसी 13.52 प्रतिशत और अल्पसंख्यक 4.83 प्रतिशत हैं।

भाजपा की सत्ता में दलित समीकरण

हिमाचल की राजनीति में सबसे ज्यादा दखल राजपूत बिरादरी का है। और ये सबसे अधिक सिरमौर जिले की विधानसभा सीट पर पाए जाते हैं। वही सत्ता के लिए किंगमेकर की भूमिका में ब्राह्मण मतदाता रहे हैं। इसलिए उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिमाचल प्रदेश के ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। 2017 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद पहले राजीव बिंदल और फिर शिमला के सांसद सुरेश कश्यप, जो अनुसूचित जाति से थे, ने संगठन की कमान सौंपी। जनसंख्या के मामले में अनुसूचित जाति समुदाय राजपूतों के बाद दूसरे स्थान पर है।

सिरमौर जिले की विधानसभा सीट का सियासी समीकरण

पछड़ विधानसभा सीट

विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2019 में Bharatiya Janata Party ने जीत दर्ज की थी। इस बार Pachhad विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। Pachhad विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आती है। 2019 में Pachhad में कुल 40.85 प्रतिशत वोट पड़े। 2019 में Bharatiya Janata Party से Reena Kashyap ने कांग्रेस के Gangu Ram Musafir को 2808 वोटों के मार्जिन से हराया था।

नाहन विधानसभा सीट

नाहन विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। नाहन विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आती है। 2017 में नाहन में कुल 51.30 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से डॉक्टर राजीव बिंदल ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अजय सौलंकी को 3990 वोटों के मार्जिन से हराया था।

श्री रेणुकाजी

श्री रेणुकाजी विधानसभा सीट पर 2017 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। श्री रेणुकाजी विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आती है। 2017 में श्री रेणुकाजी में कुल 42.48 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विनय कुमार ने भारतीय जनता पार्टी के बलबीर सिंह को 5160 वोटों के मार्जिन से हराया था।

पोंटा साहिब

पोंटा साहिब विधानसभा सीट पर 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। पोंटा साहिब विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आती है। 2017 में पाओना साहिब में कुल 59.11 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 में भारतीय जनता पार्टी से सुख राम ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किरनेश जंग को 12619 वोटों के मार्जिन से हराया था।

शिलाई विधानसभा सीट

शिलाई विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2017 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। शिलाई विधानसभा सीट हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में आती है। 2017 में शिलाई में कुल 52.09 प्रतिशत वोट पड़े। 2017 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हर्षवर्धन चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के बलदेव सिंह को 4125 वोटों के मार्जिन से हराया था।

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