राष्ट्रपति Ramnath Kovind ने ढाका में रमना काली मंदिर में की पूजा-अर्चना, जानें मंदिर का इतिहास

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President Ramnath Kovind offers prayers at Ramna Kali Mandir in Dhaka
President Ramnath Kovind offers prayers at Ramna Kali Mandir in Dhaka

बांग्लादेश (Bangladesh) की आजादी को 50 साल पूरे हो गए हैं। Bangladesh के स्वतंत्रता संघर्ष में Mukti Bahini के ‘स्वतंत्रता सेनानियों’ का बहुत बड़ा हाथ था। यहां अगर हम यह कहें कि बांग्लादेश आज जिस खुली हवा में सांस ले रहा है उसका सारा श्रेय मुक्ति बाहिनी को जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा। बांग्लादेश द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति संग्राम में अपनी जीत के 50 साल पूरे होने के अपलक्ष्य में मनाए जा रहे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) बांग्लादेश दौरे पर हैं। उन्होंने यहां पर माता काली के मंदिर का उद्घाटन भी किया। साथ ही पूजा अर्चना भी की

भारत और बांग्लादेश दोनों पाकिस्तान पर 1971 की जीत का जश्न मनाते हैं। आजादी के जश्न के बीच रामनाथ कोविंद ने मुस्लिम बाहुल्य राष्ट्र में जिस मंदिर का उद्घाटन किया है वह पाकिस्तान की सेना द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (जो कि अब बांग्लादेश बन चुका है) में अल्पसंख्यकों की भयावहता और यातना की याद दिलाता है।

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इस मंदिर का नाम रमना काली मंदिर है। पाकिस्तानी सेना ने साल 1970 में रमना काली मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। इसे शेख हसीना की सरकार ने पूरी तरह से पहले की तरह बनवा दिया है।

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बता दें कि साल 1970 में पाकिस्तान में जब चुनाव हुए तो शेख मुजीबुर रहमान ने अवामी लीग नाम से पार्टी बनाई और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया। किस्मत से मुजीबुर रहमान की पार्टी ने भुट्टो की पार्टी को हरा दिया। इस बात से बौखलाए जुल्फिकार अली भुट्टो ने मुजीबुर रहमान के समर्थकों को कुचलने का फैसला किया।

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इसलिए जुल्फिकार अली भुट्टो ने पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना को भेजा। इस अभियान को ऑपरेशन सर्चलाइट नाम दिया गया। इस अभियान में रमना काली मंदिर ध्वस्त कर दिया गया था। यहीं मंदिर का इतिहास जुड़ा हुआ है।

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पूर्वी पाकिस्तान जो कि अब बांग्लादेश बन चुका है। इसी हिस्से में देश की राजधानी ढाका में स्थित रमना काली मंदिर पर पाकिस्तानी सेना ने 27 मार्च 1971 की रात में हमला किया था। मंदिर के भीतर आनंदमयी आश्रम भी था।

लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद सेना ने मंदिर को गिरा दिया जिसमें कई लोगों की दबने के कारण मौत हुई थी। रमना काली मंदिर का इतिहास बांग्लादेश की आजादी के साथ हमेशा रहेगा।

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