सीरिया के हालात पिछले कुछ सालों से काफी बुरे चल रहे हैं। हाल ही में सीरिया में हुए रासायनिक हमले के बाद अमेरिका की ट्रंप सरकार ने एक बार फिर उस पर मिसाइलों की बरसात कर दी है। माना जा रहा है कि ये मिसाइल अटैक सीरिया में हुए केमिकल अटैक का जवाब है। जानकारी के अनुसार गुरुवार रात अमेरिका ने सीरियाई एयरबेस पर करीब 50 क्रूज़ मिसाइल दाग दी हैं।
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले सीरिया में एक रासयानिक हमला हुआ था जिसमें करीब 100 लोगों की मौत हो गयी। इस हमले से मरने वालों में 20 से ज्यादा बच्चे शामिल थे। इसके अलावा 400 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस हमले में विमान द्वारा क्लोरीन गैस वाले चार थर्मोबेरिक बम गिराए गए। इस हमले की जांच में अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हमले में इस्तेमाल किए गए विमान सीरियाई थे या रूसी। कहा जा रहा है कि यह हमला सीरियाई सरकार द्वारा ही किया गया है, जिसकी वजह से अमेरिका ने उनके एयरबेस पर हमला करके कड़ा जवाब दिया है। हालांकि सीरिया सरकार ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया था और रूस के पुतिन सरकार ने भी इस मसले पर सीरियाई सरकार का साथ दिया था।
गौरतलब है कि अमेरिका में नए राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार सीरियाई सरकार पर हमला किया गया है। सीरियाई राष्ट्रपति बशर-अल-असद के करीबी सैन्य दस्तों पर पहली बार इतनी बड़ी कार्यवाई को अंजाम दिया गया है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बशर के पक्ष में बोलते हुए कहा था कि बशर अल असद जमीनी हक़ीकत हैं। ट्रंप के इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि शायद अब अमेरिका सीरिया के साथ अपने संबंध बेहतर कर सकता है। सीरिया में केमिकल अटैक के बाद ट्रंप सरकार ने भी ओबामा सरकार के नक्शे कदम पर चलना शुरू कर दिया है। ट्रंप ने कहा कि इस घटना ने अमेरिका को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। संभवत: इसी कारण अमेरिका ने सीरिया के सैन्य दस्ते पर इतनी बड़ी कार्यवाई की है।
दरअसल, सीरिया में पिछले 6 साल से गृहयुद्ध चल रहा है और वहां के नागरिक इसकी मार झेल रहे हैं। परेशान नागरिकों ने सीरियाई सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया और ओबामा दौर में अमेरिका को सीरियाई सरकार का विरोध कर रहे नागरिकों का सर्मथक माना जाता था।