भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच चाबहार बंदरगाह आज से खुल गया। इस रणनीतिक ट्रांजिट रूट के पहले फेज का उद्घाटन रविवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने किया। इस ऐतिहासिक मौके पर भारत की ओर से कैबिनेट मंत्री पी राधाकृष्णन मौजूद रहे। इस रूट के उद्घाटन से एक दिन पहले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के साथ राजधानी तेहरान में बैठक कर चाबहार प्रोजेक्ट से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की थी।

भारत के लिए कई मायने में चाबहार बंदरगाह महत्वपूर्ण है, पहला कि भारत भी ईरान के साथ इस परियोजना का अहम सहयोगी है। साथ ही इस बंदरगाह के बनने से भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यपार के लिए पाकिस्तान पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। इस बंदरगाह के चालू होने से भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच नए रणनीतिक रूट की शुरुआत होगी। इसलिए चाबहार पोर्ट व्यापार और सामरिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है।

अफगानिस्तान के साथ रिश्ते होंगे मजबूत

चाबहार पोर्ट दक्षिण पूर्वी ईरान में है। इस बंदरगाह के जरिए पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत का अफगानिस्तान से बेहतर संबंध स्थापित हो सकेगा। अफगानिस्तान के साथ भारत के आर्थिक और सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं। इस बंदरगाह के जरिए ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और समय में एक तिहाई की कमी आएगी। चाबहार पोर्ट के प्रथम चरण में भारत 200 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा। इस निवेश में 150 मिलियन डॉलर एक्जिम बैंक के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।

पाकिस्तान के लिए बढ़ा खतरा
अब तक भारत को अफगानिस्तान तक निर्यात करने के लिए पाकिस्तान हो कर जाना पड़ता था। लेकिन ईरान के इस कदम से भारत पाकिस्तान ना जा कर अब वह अब जहाजों (समुद्र के रास्ते) के जरिए पहले ईरान के चाबहार बंदरगाह पर जाएगा और फिर वहां से ट्रकों द्वारा अफगानिस्तान पहुंचेगा। इस से भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यपार तो बढ़ेंगे ही साथ ही कूटनीतिक स्थिति भी मजबूत होगी। चाबहार बंदरगाह की अहम बात यह भी है कि यह पाकिस्तान में चीन से चलने वाले ग्वादर पोर्ट से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर ही है. ऐसे में भातर-पाकिस्तान बीच तनाव के माहौल में बैलेंस करने में चाबहार बंदरगाह एक अहम भूमिका निभाएगा।

आपको बता दें कि ईरान के 34 करोड डालर की इस परियोजना को एक नामी गिरामी कंपनी खतम अल अंबिया ने पूरा किया है। इसमें कई उप ठेकेदार हैं और एक भारतीय सरकारी कंपनी भी है। इस विस्तार के निर्माण से इस बंदरगाह की क्षमता 25 लाख टन से बढ कर 85 लाख टन सलाना हो गयी है।

बता दें कि चाबहार पोर्ट को विकसित करने के लिए 2003 में ईरान के साथ समझौता हुआ और पिछले साल विकास की रफ्तार बढ़ाई गई।

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