किसी भी देश के लिए यह एक बुरी खबर हो सकती है जब उसपर किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। जी हां, ये बुरी खबर रूस के लिए है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने डोपिंग मामले में अगले साल दक्षिण कोरिया के प्योंगचांग में होने वाले विंटर ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने से रूस को प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि रूस के वो एथलीट इसमें हिस्सा ले सकते हैं जो ये साबित कर दें कि वो डोपिंग में शामिल नहीं हैं, लेकिन ऐसे खिलाड़ी रूस का झंडा इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। साउथ कोरिया में  9 फरवरी से 25 फरवरी तक विंटर ओलिंपिक खेलों का आयोजन होना है। ऐसे में रूस के लिए ये काफी चिंताजनक है कि वो अपनी वापसी कैसे करे।

साल 2014 में रूस ने विंटर ओलंपिक की मेजबानी की थी। इस टूर्नामेंट के दौरान डोपिंग की शिकायतें आई थीं। ये डोपिंग सरकार प्रायोजित बताया जा रहा था जिनकी जांच करवाई जा रही थी। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के अध्यक्ष थॉमस बाख और बोर्ड ने जांच रिपोर्ट और सुझावों को पढ़ने के बाद ये फैसला दिया कि रूस की सरकार ने डोपिंग में सहायता दी। इस जांच की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी। इस जांच से निकले निष्कर्ष के बाद ही रूस को बैन करने का फैसला लिया गया। हालांकि फ़रवरी में होने वाले खेलों में निर्दोष रूसी खिलाड़ियों को हिस्सा लेने के लिए उन्हें ओलंपिक एथलीट फ़्रॉम रशिया (ओएआर) के नाम से आमंत्रित किया जाएगा।

बता दें कि रूस के पूर्व राष्ट्रपति सैमुअल श्मिट के नेतृत्व में इस मामले की 17 महीने तक जांच चली थी।  रूस के लगातार खंडन के बावजूद जांच में रूस के डोपिंग विरोधी कानूनों के साथ जानबूझ कर तोड़ने-मरोड़ने के सबूत पाए गए हैं। आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाख ने कहा कि  ‘ये ओलंपिक गेम्स और खेलों की पवित्रता पर अभूतपूर्व हमला है। इस घटना के बाद एक रेखा खींचना जरूरी है और असरकारी एंटी डोपिंग तंत्र को और मजबूत किए जाने की जरूरत है।’

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