सीरिया को लेकर दुनिया में फिर विश्वयुद्ध होने के आसार हैं। दुनिया की दो महाशक्ति अमेरिका और रूस एक बार फिर आमने-सामने आ चुके हैं। रूस द्वारा सीरिया पर रासायनिक हमला करने के बाद अब अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने भी सीरिया पर हमला किया है। लेकिन समस्या ये है कि सीरिया में दोनों ही महाशक्तियों के दुश्मन अलग-अलग है। रूस ने जहां विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तो वहीं अमेरिका ने सीरिया में कैमिकल हथियारों के ठिकानों को निशाना बनाया। इस हमले में सबसे ज्यादा खर्चा अमेरिका का हुआ है। अनुमान है कि एक झटके में उसने करीब 1100 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक शनिवार तड़के अमेरिका ने सीरिया पर 120 मिसाइलें दागीं। बताया जा रहा है कि ये सभी टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें थीं।

वहीं दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने रविवार (15 अप्रैल) को कहा कि अगर सीरिया फिर से रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करता है तो अमेरिका प्रतिक्रिया के लिए पूरी तरह तैयार है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सीरिया में रासायनिक हथियारों के ठिकानों को निशाना बनाकर हमले किए हैं। यह कार्रवाई पिछले सप्ताह डौमा शहर में संदिग्ध रासायनिक हमले की प्रतिक्रिया में की गई है। हेली ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लक्ष्मण रेखा खींच दी है और अमेरिका सीरिया पर दबाव बनाए रखेगा। उन्होंने कहा, ‘‘कल (शनिवार, 14 अप्रैल) की सैन्य कार्रवाई से हमारा संदेश पूरी तरह स्पष्ट है। अमेरिका असद शासन को रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने देगा।’’

बता दें कि सीरिया को लेकर पूरी दुनिया बंट चुकी है। ब्रिटेन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, इस्राइल, जर्मनी, तुर्की, जार्डन, इटली, जापान सऊदी अरब समेत तमाम देश अमेरिका के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। वहीं काफी आक्रामक तेवर अख्तियार कर चुके रूस के साथ ईरान, चीन  हैं। ये सीरिया के राष्ट्रपति बसर अल असद का साथ दे रहा हैं।

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