जिस कॉलेज में थे सिक्योरिटी गार्ड उसी में बन गए प्रोफेसर, अब हो रही है जांच

कमल किशोर मंडल ने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से नाईट गार्ड की ड्यूटी करते हुए ये सफलता हासिल की है। वो भागलपुर मुंदीचक के रहने वाले हैं।

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Bihar News: बिहार के भागलपुर में तिलकामांझी विश्वविद्यालय में एक चपरासी के असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का मामला सामने आया है। जहां विश्वविद्यालय के अंबेडकर विचार विभाग के दरबान रहे कमल किशोर मंडल अब सहायक प्रोफेसर डॉक्टर कमल किशोर मंडल बन गए हैं। अपनी नौकरी के दौरान ही उन्होंने पढ़ाई पूरी की और आज प्रोफेसर के पद पर पहुंच गए हैं, लेकिन अब यहीं कामयाबी उनके लिए मुसीबत बन गई है।

दरअसल, तिलकामांझी विश्वविद्यालय के अधिकारी उनकी काबिलियत से नाखुश हैं। फिलहाल के लिए विश्वविद्यालय ने उनपर रोक लगा दी है और मामले की जांच के लिए टीम का गठन किया गया है।

Bihar News: जांच के बाद होगा फैसला

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बता दें कि कमल किशोर ने ड्यूटी पर रहते हुए विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों की मदद से ही अपनी पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। मगर विश्वविद्यालय ने तत्काल चयनित प्रोफेसर की नियुक्ति पर रोक लगा दी है, जिस वजह से कमल किशोर की मुसीबते बढ़ गयी है। कुलपति की ओर से 4 सदस्यीय टीम का गठन भी किया गया है।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार गिरिजेश नंदन का कहना है कि जांच टीम की रिपोर्ट के बाद ही उचित निर्णय होगा। वहीं, चयनित सहायक प्रोफेसर कमल किशोर मंडल का कहना है कि मैंने विश्वविद्यालय की इजाजत से आगे की पढ़ाई की है और तमाम परीक्षा पास भी की है।

Bihar News: इसी साल हुआ चयन

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कमल किशोर मंडल ने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से नाईट गार्ड की ड्यूटी करते हुए ये सफलता हासिल की है। वो भागलपुर मुंदीचक के रहने वाले हैं। साल 2000 में उन्होंने राजनीति विज्ञान में बीए किया था, उसके बाद एमए की पढ़ाई की थी। इसके बाद साल 2013 में उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई शुरू की साल 2019 में उन्होंने पीएचडी की उपाधि हासिल की थी। वहीं, जब साल 2020 में असिस्टेंट प्रोफेसर की वैंकेसी निकली तो उसमें 4 लोगों का चयन किया गया। जिसमें कमल किशोर का भी नाम शामिल था।

Bihar News: यूनिवर्सिटी से मिला सहयोग

एक ओर जहां कमल किशोर के खिलाफ जांच टीम का गठन किया गया है, वहीं दूसरी ओर टीएमबीयू के प्रोफेसर रमेश कुमार ने कमल को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि टीएमबीयू के लिए यह गर्व की बात है कि रात में पहरेदारी और चपरासी के रूप में काम कर रहा कर्मचारी प्रोफेसर बना है। विश्वविद्यालय ने भी सहयोग किया है। रात में ड्यूटी को पूरा करते हुए पढ़ाई, पीएचडी करना, बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के योग्य बनना यह अपने आप में एक मिसाल है और गर्व की बात है।

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