Zara Hat Ke: मातृत्व एक ऐसा भाव है जो इंसान तो इंसान पशुओं में भी देखने को मिलता है।ऐसा ही एक उदाहरण मध्य प्रदेश के जंगल में देखने को मिल रहा है। जहां एक बाघिन के अंदर मातृत्व का गुण इस तरह देखा गया कि हर कोई चकित रह गया। टी-28 नामक ये बाघिन उन लोगों के लिए भी मिसाल बन गई है, जो ममता और मानवता से कोसों दूर हैं।टी-28 नामक बाघिन अपनी मृत बहन टी-18 के 3 नन्हे शावकों को पाल रही है।उनकी देखभाल के साथ उन्हें जंगल में शिकार करने का प्रशिक्षण भी दे रही है।
अपनी मौसी होने का पूरा दायित्व निभाने में जरा भी कोताही नहीं बरत रही है।यह अपनी तरह का दुलर्भ मामला देखने को मिला है।क्योंकि कोई भी बाघिन किसी दूसरे के बच्चे को अपने पास फटकने तक नहीं देती है।मध्य प्रदेश स्थित संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में बाघिन और उसके नन्हे शावक आजकल चर्चा का विषय बने हैं।
Zara Hat Ke: दुर्घटना में घायल हुई थी बाघिन
मध्य प्रदेश के सीधी जिले के संजय डुबरी राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य में मौसी बाघिन टी-28 को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बीती 16 मार्च को रिजर्व कोर एरिया में रेल पटरी के पास बाघिन टी-18 घायल मिली।उसे इलाज के बाद पिंजरे से छोड़ा गया, तो कुछ दिनों बाद ही उसकी मौत हो गई। उसके मरने के बाद ज्यादा चिंता उसके 4 नन्हे शावकों की थी, जो उस समय मात्र 9 माह के थे। इस दौरान 1 का बाघ ने शिकार कर लिया। वहीं दूसरी तरफ 3 बचे शावकों को टी-28 ने सहारा दिया।
Zara Hat ke: हमेशा देती है मां जैसा दुलार
राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों का कहना है कि टी-28 बाघिन इस समय कुल 7 शावकों को पोषण कर रही है। 4 शावक उसके अपने और 3 उसकी बहन के हैं। लेकिन कभी भी दुत्कारती नहीं। हमेशा एक मां जैसा दुलार उन्हें देती है। सभी शावक एक साथ खाते और शिकार का अभ्यास करते हैं। वर्तमान में टी-28 के शावक 9 माह, जबकि उसकी बहन के शावक 13 माह के हो चुके हैं।
संबंधित खबरें