UP Election 2022: इन Factors से Yogi Adityanath एक बार फिर बन सकते हैं यूपी के ‘महाराज’

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UP Assembly Election Result 2022:
Yogi Adityanath

UP Election 2022: Uttar Pradesh समेत 5 राज्‍यों में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों की बात करें तो यह 2024 के Loksabha Elections के सेमीफाइनल के रूप में देखे जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जहां भाजपा की सरकारें हैं तो वहीं पंजाब में कांग्रेस की। इन 5 राज्‍यों में सब की नजर सबसे ज्‍यादा देश के सबसे बड़े राज्‍य उत्‍तर प्रदेश पर है। यूपी में एक तरफ सत्ताधारी बीजेपी की कोशिश है कि जिस तरह का प्रदर्शन उन्होंने 2017 में किया था वो उसे फिर से दोहराएं तो वहीं समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस की कोशिश राज्य की सत्ता में काबिज होने की है। यूपी चुनाव को लेकर अलग-अलग लोग अलग-अलग कयास लगा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यूपी में एक बार फिर बीजेपी ताे वहीं कुछ का कहना है कि बीजेपी की करारी हार होगी। यह 5 ऐसे फैक्टर हैं जो 2022 में योगी आदित्यनाथ सरकार की वापसी के लिए मददगार हो सकते हैं।

हिंदुत्व का मुद्दा

यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत हिंदुत्व का मुद्दा है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया है। बीजेपी के पास राज्य में योगी आदित्यनाथ जैसा फायर ब्रांड हिंदू हृदय सम्राट की छवि वाला नेता है। अयोध्या में दीपोत्सव, लव-जिहाद कानून, इलाहाबाद समेत कई शहरों और कई स्टेशनों का नाम बदलना यह सब चीजें लोगों को बहुत आकर्षित कर रही हैं और ये राज्य में एक बार फिर से उनकी सरकार बनाने में मददगार हो सकती हैं।

Chief Minister of Uttar Pradesh Yogi Adityanat
Chief Minister of Uttar Pradesh Yogi Adityanat

माफियाओं पर कार्रवाई

योगी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का दावा है कि यूपी क्राइम फ्री हो गया है। इस बात को राज्य के मुख्यमंत्री भी मजबूती से उठाते हैं। मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, विजय मिश्रा जैसे कई माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई से जनता काफी खुश है। मुजफ्फरनगर जैसा दशक का सबसे भयानक दंगा झेल चुके यूपी में बीजेपी की सरकार के दौरान कोई भी बड़ा दंगा नहीं हुआ। योगी आदित्यनाथ के शासन दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर भी शिंकजा कसा गया।

Yogi Adityanath at the Ramayana Conclave
Yogi Adityanath at the Ramayana Conclave

केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा

उत्तर प्रदेश की राजनीति की बात करें तो यहां की राजनीति बहुत हद तक जाति के आधार पर होती है लेकिन यूपी की पिछले दो चुनावों में देखा गया कि नरेंद्र मोदी की सरकार के द्वारा लोगों को जो सुविधाएं प्रदान की गई उसके आधार पर उन्होंने वोट किया है। केंद्र सरकार द्वारा शौचालय, आवास योजना, उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर, आयुष्मान कार्ड जैसी योजना का फायदा सबसे ज्यादा फायदा उस वर्ग को हुआ है जो पहले बीजेपी का कोर वोटर नहीं माना जाता था। लेकिन बेसिक सुविधाओं के लिए यह वर्ग वर्षों से तरस रहे थे और इसलिए उन्होंने जाति के बंधन को तोड़ते हुए बीजेपी को वोट किया है और आने वाले यूपी चुनाव में ऐसे लोग एक बार फिर भाजपा की सरकार बनवाने में मदद कर सकते हैं।

विपक्ष अलग-थलग

बीजेपी की राज्य के आगामी चुनाव में सबसे बड़ी ताकत यह भी बन सकती है कि यूपी का विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ है। ये योगी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को तो हटाना चाहते हैं लेकिन एक साथ नहीं आना चाहते हैं। अगर अखिलेश यादव की बात करें तो वो बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस पर भी हमला करते हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती अक्सर बीजेपी, एसपी और कांग्रेस समेत सभी दलों पर निशाना साधती हैं तो वहीं कांग्रेस भी पूरी ऊर्जा के साथ यूपी चुनाव में जोर लगा रही है। कांग्रेस अगर पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी तो कहीं ना कहीं अखिलेश यादव के वोट बैंक को ही नुकसान पहुँचायगी वहीं अगर अखिलेश यादव का उनके चाचा शिवपाल यादव के साथ गठबंधन नहीं होता और वह अलग से चुनाव लड़ते हैं वो भी यादव वोट बैंक को चोट पहुंचाएंगे। मायावती के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि चंद्र शेखर आज़ाद की पार्टी आज़ाद समाज पार्टी बहुजन समाज को एक नया विकल्प दे रही है। यूपी में दलित वोट बैंक और खासकर जाटव समाज का वोट बैंक बसपा का माना जाता है और अब उस पर आजाद समाज पार्टी की नजरें हैं। अगर यूपी में विपक्ष अलग-अलग चुनाव लड़ता है तो ऐसे में वोट बैंक का बंटवारा होगा और फायदा बीजेपी का ही होगा जैसे पिछले चुनावों में देखा गया है।

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(डिस्क्लेमर :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति APN न्यूज उत्तरदायी नहीं है)

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