Love Jihad मामले पर SC से गुजरात सरकार को बड़ा झटका, कोर्ट ने कहा- नहीं दे सकते HC के फैसले में दखल

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Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद कानून Love Jihad Law पर सख्‍ती दिखाते हुए गुजरात सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले में दखल नहीं दे सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले का परीक्षण करने का फैसला किया है। गुजरात सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिसमें कहा गया है कि गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता संशोधन अधिनियम, 2021 अंतर-धार्मिक विवाहों पर लागू नहीं होगा। खासतौर पर जो विवाह बल, लालच या धोखाधड़ी के बिना किए गए हों।

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Supreme Court : 6 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर गुजरात सरकार से इस मामले पर 6 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। गुजरात सरकार ने कहा कि इतने कम समय में जवाब दाखिल कर मामले पर सुनवाई कर पाना उचित नहीं होगा। राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले को हम 6 हफ्ते के बाद सुनेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा धर्म परिवर्तन के मकसद से शादी पर अंकुश लगाने वाले गुजरात सरकार के कानून पर हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक फिलहाल जारी रहेगी।

Supreme Court :गुजरात हाई कोर्ट ने कुछ धाराओं को लागू करने पर लगाई थी रोक

पिछले साल अगस्त में “लव जिहाद” विरोधी कानून को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने लव जिहाद कानून की कुछ धाराओं को लागू करने पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने ये फैसला जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से जारी एक याचिका पर सुनाया था।

जमीयत ने इस कानून पर रोक लगाने की मांग की थी

गुजरात सरकार ने 15 जून 2021 को लव जिहाद को रोकने के लिए ‘गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021’ लागू किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि लड़की को लालच देकर फंसाया गया है, तब तक किसी व्यक्ति के खिलाफ लव जेहाद कानून के तहत FIR दर्ज नहीं की जा सकती।

गुजरात उच्च न्यायालय ने अपने 19 अगस्त के आदेश में सुधार के अनुरोध वाली राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए गुजरात धर्म की स्वतंत्रता संशोधन अधिनियम 2021 की धारा 5 पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया था।अदालत ने कहा था कि धारा 5 पर रोक केवल अंतर-धार्मिक विवाहों के लिए प्रभावी रहेगी।

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