चुनाव में बूथ वार मतगणना की वर्तमान प्रणाली जारी रहे या इसकी जगह पर एक साथ यानी कलस्टर गिनती हो इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 जनवरी) को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने कलस्टर गिनती की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि  संसद, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों में वोटों की गिनती के लिए टोटलाइजर प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि यह मतदाताओं के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करेगा। अभी विशेष मतदान बूथ पर मतदान पैटर्न की पहचान हो सकती है और यह स्थानीय समस्याओं को जन्म देती है क्योंकि कोई अन्य उम्मीदवार के जीतने की हालत में वह उस इलाके के लोगों का उत्पीड़न कर सकता है।

दूसरी तरफ सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि वह टोटलाइजर के विरोध में हैं। उन्होंने जानकारी  दी कि इस संबंध में 7 सितंबर 2016 को मंत्रियों के एक समूह ने चर्चा की थी।इस दौरान सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के नेताओं के अलावा भारतीय चुनाव आयोग से भी बात की गई थी। इसके आधार पर भारत सरकार टोटलाइजर के पक्ष में नहीं है।

हालांकि चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने चुनाव परिणामों की घोषणा के लिए ‘टोटलाइजर’ प्रक्रिया का समर्थन किया और कहा कि मतदाता की गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करने के लिए ये सुझाव दिया गया है।  वर्तमान सिस्टम पार्टियों को पता चल जाता है कि किसी खास इलाके में उसे कितने वोट मिले हैं।

सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर अंतिम सुनवाई 12 फरवरी को करेगा।

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