सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को पत्र लिख कर कहा कि अब वह सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर कभी पेश नही होंगे। वकील राजीव धवन ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में कहा कि उन्हें जिस तरह से दिल्ली बनाम उपराज्यपाल वाले केस के दौरान अपमानित किया गया उसके बाद उन्होंने कोर्ट प्रैक्टिस छोड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने पत्र में चीफ जस्टिस से यह भी कहा है कि आप मुझे दी गई वरिष्ठ वकील की उपाधि (गाउन) को वापस ले सकते हैं हालांकि मैं इसे मेरे द्वारा दी गई सेवाओं के लिए याद के तौर पर अपने पास रखना चाहूंगा।
आखिर हुआ क्या था?
दरअसल, 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर–बाबरी मस्जिद मुद्दे पर सुनवाई हुई थी। सुनवाई को दौरान कोर्ट के अंदर का माहौल काफी गर्मा गया था और वकील उंची आवाज़ में अपनी दलीलें रख रहे थें। इस बहस में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दवे समेत कई अन्य वरिष्ठ वकील शामिल थे। इसी बहस के दौरान राजीव धवन ने तो कोर्ट रुम से वॉकआउट तक की धमकी दी थी।
इसके बाद एक और मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस और राजीव धवन आमने सामने आ गए, यह मामला था दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल का। इस मामले की सुनवाई के वक्त चीफ जस्टिस से राजीव धवन की तीखी बहस हो गई थी। बस इसी पर राजीव धन ने कहा है कि उन्हें अपमानित किया गया इसलिए वह प्रैक्टिस छोड़ रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने एक केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट में वकीलों के व्यवहार पर नारज़गी जताते हुए कहा था कि कोर्ट में उंची आवाज़ में बहस करना मंज़ूर नहीं होगा और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा था कि ‘बार’ इस मामले में अगर संज्ञान नहीं लेगा तो ‘बेंच’ को इसे रेगुलेट करना पड़ेगा।