दिल्ली में सीलिंग के मामले को लेकर हो रहे धरने प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वो सुनिश्चित करे  कि राजधानी में कानून व्यवस्था कायम रहे और सीलिंग ड्राइव को लेकर धरना प्रदर्शन ना हो।

दिल्ली में अवैध निर्माण और सीलिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई है। सोमवार (2 अप्रैल) को सुनवाई के दौरान अवैध निर्माण को रोक पाने में सरकार की नाकामी और केंद्र सरकार के वकील के सन्तोषजनक जवाब ना देने पर  सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की।

जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा कि  ऐसा लगता है कि दिल्ली के लोग आपके लिए अहम नहीं है, जो लोग गड़बड़ी कर रहे हैं, वो अहम है, आप दिल्ली की जनता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, आपने दिल्ली के लिए समस्या पैदा की है, अब आप हमारे लिए समस्या पैदा मत कीजिये। जस्टिस लोकुर ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार का मकसद आम दिल्ली वालों की कीमत पर कुछ लोगों को बचाने का है। अवैध निर्माण के संरक्षण को बढ़ाते रहने के पीछे कोई वजह होनी चाहिए और आप अभी हमे कुछ भी बताने की हालत में नहीं है। आपके पास क्या प्लान है कैसे अमल करेगे, हमे इसका जवाब चाहिये।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या  31 मार्च 2002 से 2006 के बीच अवैध कॉलोनियां बनी, अगर हां तो अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्या एक्शन लिया गया। जस्टिस लोकुर ने यह भी कहा कि संविधान पीठ ने अपने फैसले में ये तय किया है कि आप बार-बार ऑर्डिनेंस नहीं ला सकते, लेकिन आप बार-बार अस्थाई कानून लाते रहे  हैं कोर्ट के इन तीखे सवालों के बीच सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने माना कि हम कानून के सही अमल में कई बार नाकामयाब हुए हैं।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में राज्य सरकार ने दिल्लीवासियों को सीलिंग से निजात दिलाने वाले दिल्ली मास्टर प्लान में संशोधन का समर्थन किया है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि समस्या के मानवीय पक्ष को अनदेखा नहीं किया जा सकता। संविधान में लोगों को भोजन और जीवन का मौलिक अधिकार मिला है। दिल्ली सरकार ने कहा कि मास्टर प्लान में प्रस्तावित संशोधन तय प्रक्रिया के मुताबिक किये गये हैं और पूरी तरह वैध हैं, कोर्ट को उस पर रोक नहीं लगानी चाहिए। सरकार ने कहा है कि इससे मिलने वाली राहत लोगों तक पहुंचनी चाहिए। लोगों की रोजी रोजी रोटी अचानक सीलिंग से नहीं रुकनी चाहिए। मामले की सुनवाई मंगलवार (3 अप्रैल) को भी जारी रहेगी।

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