Delhi High Court ने टीके से छूट की मांग पर शिक्षक की याचिका पर DDMA और DPS को जारी किया नोटिस

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Delhi High Court
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High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने शिक्षा निदेशालय, दिल्ली सरकार, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और दिल्ली पब्लिक स्कूल (Delhi Public School) से एक शिक्षक की ओर से दायर की गई याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें उसने सेवा के लिए एक आवश्यक शर्त के रूप में कोविड -19 टीकाकरण से छूट की मांग की है।

आरएस भार्गव नामक शिक्षक की ओर से दायर की गई याचिका में तर्क दिया गया है कि वह एक ऑटो-इम्यून बीमारी से पीड़ित है। जिसे एंजियों इम्यूनोब्लास्टिक टी-सेल लिंफोमा (AITCL)के रूप में जाना जाता है। डॉक्टरों ने उसे सलाह दी है कि अगर वह COVID से बचाव के लिए टीका लेता है तो उसकी स्थिति आगे भी खराब हो सकती है।

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Delhi High Court: परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी

दिल्‍ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल-न्यायाधीश पीठ ने इस मामले में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी कर 8 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अधिवक्ता तिशमपति सेन और रिद्धि संचेती के माध्यम से दायर याचिका में अदालत को बताया गया कि DDMA को आदेशों में 100 प्रतिशत टीकाकरण आवश्यक था, लेकिन भार्गव को उनकी चिकित्सा स्थिति को देखते हुए छूट दी गई थी। हालांकि एक अन्य सर्कुलर के आधार पर 29 अक्टूबर 2021 को एकतरफा रूप से इस छूट को वापस ले लिया गया। उन्‍हें जल्द ऑनलाइन कक्षाएं लेने से भी रोक दिया गया।

Delhi High Court ने छूट की वापसी को गलत कहा

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याचिका के जरिये कोर्ट को बताया गया कि छूट की यह एकतरफा वापसी पूरी तरह से अवैध और चिकित्सकीय सलाह के खिलाफ है। याचिकाकर्ता की एक चिकित्सा स्थिति उसे कोविड -19 टीकाकरण के लिए अपात्र बनाती है। जिसके लिए याचिकाकर्ता ने प्रतिष्ठित डॉक्टरों से चिकित्सा राय प्रस्तुत की है।
शिक्षक आरएस भार्गव पिछले 3 दशकों से निजी स्‍कूल में सेवाएं दे रहे हैं। बावजूद इसके उन्‍हें डीओई आदेश के संदर्भ में छुट्टी पर जाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता के दिसंबर और जनवरी माह के वेतन को रोक उसके अनुपस्थित रहने का तर्क देकर उसे दंडित करने का प्रयास किया गया है।

कोर्ट ने दो माह का वेतन देने का दिया निर्देश

याचिकाकर्ता को पहले चिकित्सीय स्थिति प्रस्तुत करने पर छूट दी गई थी, लेकिन इस छूट को वापिस लेने का कार्य पूरी तरह से अवैध है। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि ये उसे दी चिकित्सकीय सलाह के खिलाफ था। अदालत ने संबंधित स्‍कूल को दिसंबर और जनवरी माह का वेतन जारी करने के निर्देश दिए और शिक्षक आरएस भार्गव को अपनी नवीनतम मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा।

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