भारत में वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को लेकर विवाद हो रहा है। समाज में यह बहस विषय बनता जा रहा है। मैरिटल रेप को कानूनी तौर पर अपराध घोषित करने की मांग काफी समय से हो रही है। जेएस वर्मा की कमेटी ने इसे अपराध की श्रेणी में डालने की सिफारिश भी की थी। पर केंद्र सरकार (Central Government) का कहना है कि अगर इसे “कानूनी मान्यता मिल जाएगी तो पत्नियां अपने पति को सताने के लिए इस कानून का आसानी से इस्तेमाल कर सकती हैं।” इस मामले पर केंद्र सरकार ने मंगलवार यानी कि 1 फरवरी को फिर टिप्पणी की है। केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि वे इस पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
Marital Rape पर केंद्र ने कोर्ट से मांगा समय
मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रखने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर कोई निर्णय लेने की जरूरत है। यदि केंद्र इसपर अपना रुख स्पष्ट नहीं करता है तो कोर्ट केंद्र के पहले के हलफनामे के आधार पर सुनवाई करेगा। इसके अलावा और कोई विकल्प नही है, क्योंकि केंद्र सरकार को यह तय करना है कि क्या वह अपने पुराने रुख पर कायम है या उसमें कोई बदलाव करना चाहता है।
हाई कोर्ट ने कहा कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने के मुद्दे का समाधान या तो कोर्ट कर सकता है या फिर इसका विधान बनाकर किया जा सकता है। केंद्र की तरफ से इस मामले में अगले हफ्ते अपना रुख स्पष्ट करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से आग्रह किया।
Marital Rape की घटनाओं में इजाफा
बता दें कि भारत का कानून यह मानने के लिए तैयार है कि किसी भी महिला के साथ जबरन संबंध बनाना अपराध है। जबरन बनाए जा रहे संबंध को महिला ना भी कह सकती है लेकिन सरकार और न्यायालय कानूनी रूप देने को तैयार नहीं है।
बता दें कि लॉकडॉउन के बाद से देश में Marital Rape की घटनाओं में खासा वृद्धी देखी गई है। वर्क फ्रॉम होम के कारण महिलाएं अपने पतियों की हवस का शिकार बन रही हैं। इसलिए वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग जोरों शोरों पर उठ रही है।
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