NGT ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काली, कृष्णा और हिंडन नदियों के गहन सर्वेक्षण का आदेश दिया है और 316 उद्योगों के निरीक्षण करने का भी निर्देश दिया है जो कथित तौर पर पानी के स्रोतों को प्रदूषित करते हैं। एक NGO द्वारा दायर याचिका के बाद NGT का यह आदेश आया है। याचिका में कहा गया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रदूषित भूजल के कारण 50 लोगों की कैंसर से मौत हो गई है।

NGT के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, यूपी जल निगम के अधिकारियों को शामिल करके एक समिति का गठन किया है ताकि वह संयुक्त रूप से इन नदियों और भूजल की जांच कर सके। यह समिति 2 महीने में अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगी। मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।

NGT डोआबा पर्यावरण समिति के प्रमुख सी.वी. सिंह जो कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सेवानिवृत्त वैज्ञानिक हैं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपथ और गाजियाबाद जिलों में भूजल प्रदूषित हो रहा है क्योंकि उद्योगों द्वारा रिवर्स बोरिंग करके  प्रदूषित पानी को ज़मीन के अंदर डाला जा रहा है।

इससे पहले NGT ने उत्तर प्रदेश जल निगम को 2015 के आदेश के अनुपालन में विफल रहने पर फटकार लगाई थी। उस आदेश में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के  छह जिलों में उन सभी हैंडपंपों को सील करने के लिए कहा गया था जिन से प्रदूषित पानी निकल रहा था। राज्य सरकार और उसके अधिकारियों को GPS लगे वाहनों के जरिए इन छह जिलों के लोगों को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया था।

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