दिल्ली में 8 महीने की बच्ची के यौन शोषण के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (31 जनवरी) को मामले की सुनवाई के दौरान बच्ची के समुचित इलाज का निर्देश दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हन तुषार मेहता और पिंकी आनंद भी कोर्ट में मौजूद थे।

दिल्ली की शकूरबस्ती इलाके से आठ महीने की बच्ची के यौन शोषण के मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने कहा कि हम बच्ची को लेकर बेहद चितिंत हैं कोर्ट ने निर्देश दिया कि एम्स के दो विशेषज्ञ उस अस्पताल जाकर बच्ची को देखें जहां बच्ची दाखिल है। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर एम्बुलेंस लेकर जाए अगर जरूरी लगे तो उसे तुरंत एम्स लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इन डॉक्टरों को गुरुवार (1 फरवरी) को अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है। बुधवार सुबह वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने इस मामले में जनहित याचिका दाखिल की थी और जल्द सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस के सामने केस को मेंशन किया था जिसके बाद कोर्ट ने दिन में 2 बजे इस मामले पर सुनवाई की। अलख आलोक श्रीवास्तव ने जनहित याचिका में बच्ची के बलात्कारी के लिए मौत की सजा के साथ परिवार को 10 लाख रुपये की मुआवजा राशि देने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीर बताया और दिल्ली लीगल सर्विसेज को भी मदद देने को कहा है। आठ महीने की बच्ची के यौन शोषण का ये रविवार का है। इस मामले में पुलिस ने बच्ची के चचेरे भाई को गिरफ्तार किया है। फिलहाल बच्ची वेंटिलेटर पर है। बच्ची का परिवार बेहद गरीब है, पिता मजदूरी करते हैं और मां घरों में साफ सफाई का काम करती है।

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