Kanhaiya Kumar कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में कन्हैया कुमार ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार Giriraj Singh के खिलाफ चुनाव मैदान में थे। उन्होंने गिरिराज सिंह को कड़ी टक्कर दी लेकिन दूसरे स्थान पर रहेे। चुनाव में हार हुई तो कन्हैया कुमार ने इसका ठीकरा अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर फोड़ दिया। हालिया घटनाक्रम में पार्टी की भीतरी कलह कन्हैया कुमार को आगे नहीं बढ़ने नहीं दे रही थी। कम से कम 5 ऐसे बड़े कारण है जिससे यह कहा जा सकता है कि कन्हैया कुमार के पास कांग्रेस में जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
Kanhaiya Kumar के कांग्रेस में जाने के 5 कारण :
1.कन्हैया कुमार JNU छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य थे। बहुत अच्छे वक्ता है और पार्टी के भविष्य के तौर पर देखे जा रहे थे। लेकिन इसके बावजूद थोड़े से झगड़े के कारण जनवरी में उनके खिलाफ CPI ने निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया और कोई भी उनके साथ खड़ा़ नहीं हुआ लेकिन आपत्तिजनक JNU के विवाद के बाद राहुल गांधी उनके साथ खड़े हुए थे।
2. 15 फरवरी को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पूर्व नेता कन्हैया कुमार ने बिहार के मंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी से पटना में उनके आवास पर मुलाकात की थी, इससे यह तो जाहिर होता है कि कहीं न कहीं उन्होंने जदयू में जाने की सोची होगी लेकिन कन्हैया BJP के मुखर विरोधी है और JDU BJP के साथ उन्हीं के राज्य में गठबंधन में है इसलिए वो जनता दल यूनाइटेड में नहीं जा सकते थे।
3. कन्हैया कुमार बिहार विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी RJD में भी जा सकते थे। JNU के विवाद के बाद उन्होेंने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात भी की थी और पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में RJD के कई प्रत्याशियों के लिए भी रैली की थी। लेकिन अगर वो राष्ट्रीय जनता दल में जाते तो उन्हें तेजस्वी यादव के नीचे काम करना पड़ता क्योंकि तेजस्वी नहीं चाहेंगे कि बिहार में कोई एक अच्छा युवा नेता उनसे आगे हो ऐसा माना जाता है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राजद-कांग्रेस गठबंधन द्वारा वाम दलों के साथ चुनावी समझ बनाने के प्रयास किए गए थे, लेकिन यह इसलिए सफल नहीं हुआ था क्योंकि तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे कि बिहार से उनके मुकाबले के लिए कोई युवा नेता संसद मे जाए। राजद ने कन्हैया कुमार के खिलाफ बेगूसराय लोकसभा सीट से तनवीर हसन को मैदान में उतारा था। आखिरकार, कन्हैया त्रिकोणीय लड़ाई में भाजपा उम्मीदवार गिरिराज सिंह से चुनाव हार गए ।
4. JNU छात्र संघ के चुनाव के दौरान कन्हैया कुमार ने कांग्रेस पर कई वार किए लेकिन इसके बाद कुछ मौकों पर कन्हैया ने कांग्रेस की नीतियों का विरोध तो किया लेकिन उन्होंने मुख्य रूप से कांग्रेस की विचारधारा पर हमला नहीं किया और महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू का भी सम्मान किया।
5.बिहार में राजनीति करने के लिए कन्हैया कुमार के लिए कांग्रेस पार्टी सबसे उर्पयुक्त है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अब बिहार में कांग्रेस का जो थोड़ा मोड़ा वोट बैंक बचा है वो भूमिहार समुदाय का ही है और कन्हैया भूमिहार समुदाय से आते हैं। बिहार में भी कांग्रेस पार्टी को भी एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है और कन्हैया कुमार के भूमिहार समुदाय से आने के कारण वो राज्य में पार्टी का मजबूत चेहरा बन सकते हैं।
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