Supreme Court: Pegasus जासूसी मामले में तीन सदस्यीय कमेटी गठित, 8 हफ्तों में सौंपेगी अपनी रिपोर्ट

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Supreme Court :Pegasus जासूसी मामले में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन देश की सर्वोच्च अदालत ने किया है। बहु प्रतीक्षित पेगासस जासूसी की जांच की मांग वाली लगभग 15 याचिकाओं पर बुधवार को अपना फैसला सुना रही है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमण, हिमा कोहली और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच कर रही है।

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि इस मामले में दायर की गई सभी 15 याचिकाओं में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु उठाए गए हैं। इसमें सबसे जरूरी प्रश्न तकनीक का इस्तेमाल और उसके दुरुपयोग पर उठाए गए हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि तकनीक जीवन को उन्नत बनाने का सबसे बेहतरीन औजार है और हम भी इसे मानते हैं। इसलिए इस मामले में प्रथम दृष्टया केस बनता है।

इस वरिष्ठ जजों की बेंच ने पेगासस मामले में पड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 23 सितंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई कुल 15 याचिकाओं में इस्राइल के पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता नेआरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र सदस्यों के एक विशेषज्ञ पैनल के गठन का प्रस्ताव रखा था।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेषज्ञ पैनल के समक्ष विवरण के खुलासा का भी आश्वासन दिया था। लेकिन साथ ही केंद्र सरकार ने इस मामले में हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया था। केंद्र सरकार ने इस मामले में तर्क देते हुए कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर किसी विशेष सॉफ्टवेयर के उपयोग या गैर-उपयोग पर इस तरह से कोर्ट में बहस नहीं की जा सकती है।

याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि वह नहीं चाहता कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी तरह का कोई समझौता हो। कोर्ट ने केंद्र सरकार से मात्र इतना पूछा था कि केंद्र ने गैरकानूनी तरीके से पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं?

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने 23 सितंबर को शीर्ष अदालत में इस बात की ओर इशारा किया था कि कोर्ट इस मामले में इस्राइल के पेगासस स्पाइवेयर के जरिए भारत के नागरिकों खासकर विपक्षी दल के नेताओं, पत्रकारों और अन्य वरिष्ठ लोगों पर जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक तकनीकी समिति गठित कर सकती है।

चीफ जस्टिस ने साथ में यह भी कहा था कि तकनीकी समिति में शामिल होने के लिए जिन विशेषज्ञों से संपर्क किया गया था उनमें से कुछ ने व्यक्तिगत कारणों से समिति का हिस्सा होने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण कोर्ट को तकनीकी समिति के गठन के आदेश में देरी हो रही है।

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