मध्यप्रदेश और बुंदेलखंड में किसान जहाँ आत्महत्या कर रहे हैं वहीँ अब पश्चिमी उतर प्रदेश में भी प्रशासनिक उपेक्षा के चलते किसान मरने को मजबूर हैं। यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से प्रदेश के किसानों को योगी की सरकार से बहुत उम्मीदें थी लेकिन कर्जमाफी की घोषणा के अलावा अभी तक कोई खास उपलब्धि नहीं रही है। कई राज्यों में चल रहे किसान आन्दोलन और सियासत की ख़बरों के बीच एक खबर यूपी से आई है जहाँ एक दिव्यांग किसान संसाधनों की कमी और ग़रीबी की मार से जूझता खुद बैल बनकर अपने खेत जोतने को मजबूर है।

यह खबर उत्तरप्रदेश के बिजनौर जिले के सालमाबाद गांव से है यहाँ एक गरीब दिव्यांग किसान सीताराम कई वर्षो से हल के दूसरे कोने को अपने कंधे पर रखकर अपनी 8 बीघे की जमीन को जोतने पर मजबूर है। यह किसान सहायता के लिए जिले के कई वरिष्ठ अधिकारियों से मिल मदद की गुहार भी लगा चुका है लेकिन इस किसान को कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली है और आज तक इसे निराशा ही हाथ लगी है। यूपी में किसानों की भलाई की बात करने वाली योगी सरकार के दावे और घोषणाओं के बीच आज भी यह किसान बदहाली के आंसू रोने को मजबूर है। इस किसान के पास न तो अपना आधार कार्ड है न ही किसी सरकारी योजना या कर्जमाफी का कोई लाभ ही इसे मिल पाया है।

सीताराम को सपा सरकार के कार्यकाल में पेंशन भी मिलती थी लेकिन राज्य में सरकार बदलने के साथ पेंशन का सहारा भी इनसे छीन गया और अब यह किसान अपने एक जानवर और पत्नी के सहारे खेती के भरोसे गुजारा करने की लड़ाई लड़ रहा है। सीताराम अपनी पत्नी मुन्नी देवी के साथ कई वर्षो से अपने एक कमरे के मकान में जहाँ रहने को मजबूर है तो वहीं अपने हाथ कट जाने के बाद से एक पशु के सहारे जुआ के कोने पर बैल बनकर पशु के साथ खेत में हल जोतने को मजबूर है। इनकी पत्नी मुन्नी देवी पीछे से हल को खेत में जोतती चलती हैं। किसान की इस हालत के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि सीताराम काफी समय से अपनी 8 बीघा जमीन खुद बैल बनकर हल से जोतता आ रहा है। इस गरीब दिव्यांग किसान ने कई बार सरकार के आला अफसरों से मदद के लिये गुहार भी लगाई है ,लेकिन इस किसान को आज तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है। हालांकि इस मामले के मीडिया में आने के बाद जिलाधिकारी ने सीताराम को हर सभव मदद उपलब्ध कराने का मौखिक आश्वासन दिया है।

यूपी सहित देश के अन्य राज्यों में किसानों की हालत किसी से छुपी नहीं है। कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। इसके अलावा किसानों ने कर्जमाफी को लेकर आन्दोलन भी शुरू कर दिया है लेकिन इन सब के बीच जिस यूपी की तर्ज़ पर देश भर के अन्य राज्यों के किसान कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं वहां से आई यह खबर वाकई सरकार और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती नज़र आ रही है। ऐसे में अब देखना है कि सरकार तक इस दिव्यांग किसान की आवाज कब और कैसे पहुँचती है।

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