यूपी की सत्ता का सिंहासन हासिल करने संन्यासी योगी आदित्यनाथ पहले ही दिन एक्शन में आ गए और अब नई सरकार के बनने के साथ ही प्रदेश में नई अफसरशाही होना भी लगभग तय है। यानि नौकरशाहों की तबदीली हो सकती है। इसी के साथ कई अफसरों की किस्मत चमक सकती है तो कई अफसरों पर गाज भी गिर सकती है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अधिकारियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने शासन स्तर पर बड़े बदलाव के संकेत पहले ही दे दिये हैं और इसका बड़ा झटका यूपी के डीजीपी और मुख्य सचिव को लग सकता है। नये नाम भी हवा में तैरने शुरू हो गए हैं, इतना ही नहीं संभावित नामों की फाइलें भी खंगालनी शुरू हो गयी है। डीजीपी और मुख्य सचिव के साथ ही कई जिलों में डीएम कप्तान सहित सचिव स्तर के अधिकारियों का भी तबादला हो सकता है।

With the formation of the new government, the new bureaucracy in the state is almost certain - 1

इसी के साथ यूपी में एक बार फिर से कयासों का बाजार गर्म हो गया है, खबर आई है कि अफसरशाही की सबसे बड़ी कुर्सी यानि मुख्य सचिव पद के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत 1981 बैच के वरिष्ठ अधिकारी राजीव कुमार का नाम सबसे आगे है। फिलहाल राजीव कुमार केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के सचिव पद पर है और साथ ही मोदी जी के पसंदीदा अधिकारियों की लिस्ट में भी शुमार हैं। वहीं डीजीपी पद के लिए 1982 बैच के डीजी पुलिस भर्ती बोर्ड सूर्य कुमार शुक्ला और रजनीकांत मिश्रा के नामों पर भी कयास लगाए जा रहे हैं और रेस में वरिष्ठ आईपीएएस गोपाल गुप्ता का नाम भी जुड़ गया है। कुल मिलाकर कहा जाए तो बेपटरी कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कुछ अधिकारियों की छुट्टी हो जाएगी तो कुछ को अहम जिम्मेदारियां सौंप दी जाएगी।

सत्ता संभालते ही नये मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को अफसरों की आरामतलबी और तड़क भड़क भी अखर रही है। यही वजह है कि अब तक मलाईदार पदों पर रहने वाले अफसरों को 15 दिनों के अंदर अपनी चल अचल संपति का ब्योरा देने का फरमान सुनाने के साथ साथ काम काज में बदलाव की नसीहत भी पहले ही दिन मिल चुकी है। लेकिन अब इंतजार आदित्यनाथ योगी के दिल्ली से वापसी के बाद बड़े फैसलों का है।

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