क्या है AFSPA? 10 प्‍वाइंट में जानें सब कुछ

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AFSPA
AFSPA

नगालैंड (Nagaland) में घटना के बाद AFSPA को हटाने की मांग हो रही है। नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो (CM Neiphiu Rio) ने इसे हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि Armed Forces (Special Powers) Act (AFSPA) कठोर है, इसे हटाना जरूरी है। इसके साथ ही मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा (Meghalaya Chief Minister Konrad Sangma) ने इसे हटाने की मांग की है।

AFSPA कब आया?

सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (Armed Forces Special Powers Act) को भारत की संसद ने साल 1958 में लाया था। इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को कुछ विशेष शक्तियां दी जाती है जिससे वे अशांत क्षेत्रों में कानून व्यवस्था को बनाएं रख सकें। अशांत क्षेत्र (विशेष न्यायालय) अधिनियम 1976 के अनुसार एक बार क्षेत्र को अशांत घोषित कर दिया जाता है तो वहां पर कम से कम तीन माह तक यथास्थिति (Quo) को बनाए रखना पड़ता है। इसी तरह का एक अधिनिय 11 सितंबर 1958 में भारतीय संसद ने नागा हिल के लिए पास किया था। बाद में इसे असम में फिर धीर धीरे 7 बहनें (7 Sisters) कहे जाने वाले सभी पूर्वोत्तर राज्यों में लागू कर दिया गया। इसे अभी वर्तमान रूप में असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सो में लागू किया गया है। बता दें कि इस तरह का अधिनियम बॉर्डर से सटे राज्यों में ही लागू किया जाता है।

यहां 10 Point में समझें क्या है AFSPA

  1. जब 1989 के आस पास जम्मू & कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगा तो 1990 में इसे वहां भी लागू कर दिया गया था। किसी क्षेत्र विशेष में AFSPA तभी लागू किया जाता है जब राज्य या केंद्र सरकार उस क्षेत्र को “अशांत क्षेत्र कानून” अर्थात डिस्टर्बड एरिया एक्ट (Disturbed Area Act) घोषित कर देती है। AFSPA कानून केवल उन्हीं क्षेत्रों में लगाया जाता है जो कि अशांत क्षेत्र घोषित किये गए हों। इस कानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं।
  2. एक बार किसी भी क्षेत्र को अशांत घोषित कर दिया जाता है तो वहां पर कम से कम तीन माह तक सेना या सशस्त्र बल रहते हैं। इस अधिनियम के तहत सेना को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार मिले हैं।
  3. जब किसी क्षेत्र में नस्लीय, भाषीय, धार्मिक, क्षेत्रीय समूहों, जातियों की विभिन्नता के आधार पर समुदायों के बीच मतभेद बढ़ जाता है, उपद्रव होने लगते हैं तो वहां के हालात को संभालने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है।
  4. राज्य और केंद्र सरकार के पास अधिकार होता है कि वे हिंसा वाले इलाके को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकें। पर यहां पर केंद्र को राज्य सरकार से राय लेनी पड़ती है कि क्या वह क्षेत्र अशांत है।
  5. क्षेत्र को अशांत केंद्र सरकार घोषित तो कर सकती है लेकिन वहां पर सेना भेजने का फैसला राज्य सरकार को ही करना पड़ता है। बिना राज्य की इजाजत के वहां पर सेना को तैनात नहीं किया जा सकता है।
  6. एक बार राज्य सरकार यह घोषणा कर देती है कि वहां पर अब शांति है तो अपने आप क्षेत्र को शांत घोषित कर दिया जाता है और सेना हट जाती है।
  7. इस कानून को नागरिकों के लिए कई संगठनों ने कठोर बताया है। क्योंकि सेना को कई विशेष अधिकार मिले हैं। जो कि कुछ इस प्रकार हैं।
    • किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है।
    • सेना बिना किसी वारंट के संदिग्ध व्यक्ति के घर की तलाशी ले सकती है।
    • अगर कोई व्यक्ति अशांत क्षेत्र में हिंसा करता है। बार बार सुरक्षा में बाधा बनता है तो उसपर मृत्यु बल प्रयोग किया जा सकता है।
    • यदि सशस्त्र बलों को अंदेशा है कि विद्रोही या उपद्रवी किसी घर या अन्य बिल्डिंग में छुपे हुए हैं (जहां से हथियार बंद हमले का अंदेशा हो) तो उस आश्रय स्थल या ढांचे को तबाह किया जा सकता है।
    • वाहन को रोक कर उसकी तलाशी ली जा सकती है।
    • सशस्त्र बलों द्वारा गलत कार्यवाही करने की दशा में भी, उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही नही की जाती है।
  8. वैसे तो इसे अशांत क्षेत्र में ही घोषित किया जा सकता है लेकिन इसमें अधिकतर बॉर्डर से सटे राज्य शामिल हैं।
  9. मानवाधिकार के लिए काम करने वाले संगठनों ने कहा है कि यह कानून इंसानों के अधिकारों का हनन करता है।
  10. AFSPA को आतंकियो से लड़ने में सबसे मजबूत कानून माना जाता है।

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