सड़क में गड्ढे या गड्ढों की सड़क…ये सवाल इसलिए क्योंकि, तत्कालीन हरीश रावत सरकार के समय लगभग चालीस करोड़ की लागत से बना मार्ग एक बार फिर जर्जर हालत में पहुंच चुका है…ऐसे में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों के भ्रष्टाचार की करतूत सामने आ गई…नारसन और बढ़ेड़ी को जोड़ने वाले सड़क मार्ग की बदहाली की शिकायत मिलने पर ज़िले के कई विभागों के अधिकारी बारीकी से निरीक्षण करने पहुंचे तो रुड़की लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया…रुड़की लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की सांठ-गांठ एक का आलम यह है कि घटिया सामिग्री के चलते सड़क कई जगह से दरक चुकी है और नदी नालों के पुल टूट चुके हैं…सीएम त्रिवेंद्र रावत की जांच के आदेश के बाद ज़िले के आला अधिकारियों में हड़कम्प मचा है…अब लोक निर्माण विभाग के अधिकारी आरईएस के जांच अधिकारियों पर मामले की लीपापोती का दबाव बनाने में जुटे हैं…

इस मामले में लोक निर्माण विभाग के पूर्व अधिशासी अभियन्ता ओपी सिंह पर ट्रांसफर की गाज गिर चुकी है…मामले की शिकायत बीते 10 जुलाई 2017 को ग्रामीण नावेद अख्तर ने सूबे के सीएम त्रिवेंद्र रावत से की थी…मामला सीएम के दरबार मे पहुंचने के बाद हरिद्वार के जिला अधिकारी ने पूरे मामले की जांच आरईएस को सौंप दी थी…जिसकी जांच करने के लिए आरईएस और लोकनिर्माण विभाग के आलाधिकारी मौके पर पहुंचे…अब, जांच रिपोर्ट आने के बाद लोक निर्माण विभाग के जेई से लेकर अधिकारियों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है…

जाहिर है कि, 40 करोड़ की लागत से बने नारसन और बढ़ेड़ी मार्ग के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया…जिससे न सिर्फ सड़क मार्ग जर्जर हालत में पहुंच चुका है बल्कि, नदी नालों के पुल तक टूट चुके हैं…

कुमार मयंक एपीएन

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