MeToo कैंपेन के तहत यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। एमजे अकबर ने प्रधानमंत्री कार्यालय को अपना इस्तीफा भेज दिया है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर एमजे अकबर ने इस्तीफा दिया है और उनके ऊपर लगे आरोपों से पार्टी की छवि खराब हो रही थी।

एमजे अकबर ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि वह न्याय के लिए व्यक्तिगत लड़ाई लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अब वह निजी तौर पर केस लड़ेंगे। उन्होंने आगे कहा है ‘‘मैं, अपने खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को निजी तौर पर चुनौती दूंगा। अत: मैं विदेश राज्य मंत्री पद से त्यागपत्र देता हूं। ’’

उन्होंने पीएम मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ‘‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बेहद आभारी हूं कि उन्होंने मुझे देश की सेवा करने का अवसर दिया। ’’

दरअसल 5 राज्यों के आने वाले चुनावों में पार्टी की छवि को नुकसान न पहुंचे इसको सोचकर अकबर से इस्तीफा लिया गया है। करीब 20 महिलाओं ने पत्रकार प्रिया रमानी का साथ देने की बात कही थी।

अकबर के इस्तीफे पर प्रिया रमानी ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अकबर के इस्तीफे से हमारे आरोप सही साबित होते हैं। रमानी ने ट्वीट किया, ”मुझे उस दिन का इंतजार है जब मुझे कोर्ट में न्याय मिलेगा।”

बता दें कि प्रिया रमानी ही वह पहली महिला हैं, जिन्होंने एमजे अकबर पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। उन्होंने एक होटल के कमरे में इंटरव्यू के दौरान की अपनी कहानी बयां की थी।रमानी के आरोपों के बाद अकबर के खिलाफ आरोपों की बाढ़ आ गई और एक के बाद एक कई अन्य महिला पत्रकारों ने उन पर संगीन आरोप लगाए। अकबर पर ये सभी मामले 10 से 15 साल पुराने हैं, जब अकबर मीडिया जगत से जुड़े हुए थे। एमजे अकबर ने मामले में सबसे पहले आरोप लगाने वाली प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दर्ज किया हुआ है, मुकदमा लड़ने के लिए उन्होंने करांजावाला लॉ फर्म की मदद ली है।

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