50 लाख से ज्यादा आबादी वाले कानपुर महानगर को केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना के तहत चुना गया है, लेकिन गंदगी को लेकर कानपुर के माथे पर लगा बदनामी का दाग मिटने का नाम नहीं ले रहा है।  इसका सबूत छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के पीछे का हिस्सा है। कानपुर यूनिवर्सिटी के पिछले गेट के सामने की सड़क पर कूड़े का अंबार लगा है। पूरे शहर का कूड़ा यहां डाला जा रहा है। इस सड़क पर करीब एक किलोमीटर तक इसी तरह कूड़े का ढेर लगा हुआ है। कानपुर यूनिवर्सिटी जैसे महत्वपूण जगह की इस सड़क पर खुले आम कूड़ा डाला जाना हैरान करता है।

जब सड़क किनारे कूड़ा डालते हुए ट्रैक्टर वालेसे पूछा गया तो वह अपनी सफाई देते हुए आइंदा से ऐसा नहीं करने की बात कह कर तेजी से भाग खड़ा हुआ।

कूड़े को डालने का गोरखधंधा यहां सालों से चल रहा है और इसी तरह से धीरे-धीरे कूड़े का ढेर लगता जा रहा है। इस सड़क पर हर वक्त गाड़ियों की आवाजाही रहती है। यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का आना जाना लगा रहता है । मुख्य मार्ग पर पड़ा ये कूड़ा जहां बदबू देता है वही यहां से निकलने वाले वाहन सवारों और राहगीरों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है।

दरअसल, जिस नगर निगम पर कानपुर को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी है वहीं कानपुर को गंदा करने में लगा है। कानपुर नगर निगम के कर्मचारी और संविदा पर तैनात कर्मचारी चोरी छुपे कूड़ा डंपिंग स्थल पर न ले जाकर यहां पर डाल देते हैं। कानपुर यूनिवर्सिटी से रामा डेंटल कॉलेज के लिए मुड़ने वाली इस सड़क के एक छोर से लेकर सीएनजी मकड़ी खेड़ा पंप की ओर जाने वाली सड़क के दूसरे छोर तक कूड़े का अंबार लगा हुआ है। इस सड़क पर खुद नगर निगम ही स्वच्छता अभियान की धज्जी उड़ा रहा है।

पूरे कानपुर शहर के कूड़े के निष्पादन के लिए पनकी भौंती पर डंपिंग ग्राउंड बनाया है। जो कानपुर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर है। शहर के बाहरी इलाके में बने डंपिंग ग्राउंड तक जाने के लिए नगर निगम और अभियंत्रण विभाग सैकड़ों गाड़ी लगाए हुए हैं। इन गाड़ियों के लिए ड्राइवरों को रोजाना डीजल भी मिलता है। यहीं से शुरू होता है कमाई के खेल का सिलसिला।

कूड़ा घरों से कूड़ा उठता तो है लेकिन 25 किली मीटर दूर डंपिंग स्थल पर ना जाकर ये कूड़ा शहर के यूनिवर्सिटी रोड जैसे सुनसान इलाकों में इधर-उधर फेंक दिया जाता है। इस तरह से गाड़ी को 25 किलोमीटर नहीं चलना पड़ता है और उनका डीजल बच जाता है। तेल चोरी कर उस पैसे का बंदरबांट करने के चक्कर में अधिकारी और कर्मचारी कानपुरवासियों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि कानपुर नगर निगम के आला अफसरों को इस बात की जानकारी नहीं है। तमाम शिकायतें उन तक पहुंची भी लेकिन कार्रवाई के नाम पर महज़ खानापूरी की गई। आपसी मिलीभगत से तेल चोरी का खेल एक अरसे से चल रहा है और इसी तरह कागजों में स्वच्छता अभियान चलाकर सरकार को गुमराह किया जा रहा है।

                                                                                                              —ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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