केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि ‘दलित’ शब्द इस्तेमाल करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल न करने के आदेश पर दोबारा विचार करना चाहिए। अठावले ने कहा कि वे सरकार के आदेश का समर्थन करते हैं,  लेकिन बोलचाल की भाषा में दलित कहने पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अठावले ने कहा कि ‘दलित’ शब्द इस्तेमाल न करने के निर्देश के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालेंगे।

अठावले ने कहा कि सरकारी रिकॉर्ड में तो शेड्यूल कास्ट कहा जाता है। सरकारी कार्य में दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। लेकिन बोलने में तो लोग दलित बोलते हैं। अठावले ने कहा कि हमने दलित संगठन बनाया था। जो इकोनॉमिक सोशली बैकवर्ड लोग हैं कि उनको दलित बोलना चाहिए, इसलिए मुझे लगता है कि सरकारी रिकॉर्ड में तो दलित शब्द का इस्तेमाल न करें,  लेकिन बात करने, लिखने में दलित शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए।

अठावले ने कहा कि जो व्यापक शब्द है उस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। केवल शेड्यूल कास्ट के लिए दलित बोलना ठीक नहीं है। जो गरीब, पिछड़े लोग हैं उनके लिए दलित शब्द का इस्तेमाल किया जाए। इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, लेकिन शेड्यूल कास्ट के लिए दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह सरकार का सोचना है। उसका मैं स्वागत करता हूं।

दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने पंकज मेश्राम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल बंद करने के लिए निर्देश जारी करने पर विचार करे।  जिसके बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज़ चैनलों को एक एडवाइजरी जारी करते हुए ‘दलित’ शब्द इस्तेमाल करने से बचने का आग्रह किया है।

आपको बता दें कि इस संबंध में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट भी कह चुका है कि केंद्र और राज्य सरकारों को पत्राचार में दलित शब्द के इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योंकि यह शब्द संविधान में नहीं है।

वहीं सवर्णों के आंदोलन पर रामदास अठावले ने कहा कि सभी दल के नेताओं ने दलितों पर होने वाले अत्याचार को लेकर 1989 में दलित एट्रोसिटी एक्ट बनाया था। अठावले ने सवर्णों से अपील करते हुए कहा कि  इसका गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। हम भी नहीं चाहते कि इसका गलत इस्तेमाल हो। उन्होंने कहा कि सवर्णों को आंदोलन नहीं करना चाहिए। मेरी अपील है कि सभी लोग बैठकर इसका समाधान निकालें। आंदोलन करने से कोई फायदा नहीं होगा।

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