राजनीति में अपना सिक्का जमाने के लिए नेता आए दिन एड़ी चोटी का जोर लगाते रहते हैं, लेकिन झारखंड से एक ऐसा मामला सामने आ रहा है, जो इंसानियत को शर्मसार कर देगा। झारखंड में महिलाओं की इज्जत को दांव पर लगाकर राजनीति चमकाने का काम किया गया है, जिसे जानने के बाद आपका खून खौल उठेगा। बता दे, आदिवासी महासभा के नेता रामाश्रय सिंह ने राजनीति में अपना लोहा मनवाने के लिए महिलाओं की निर्वस्त्र तस्वीरें सोशल मीडिया पर सार्वजनिक कर दीं हैं। इन तस्वीरों के वायरल होने के बाद से देशभर में आदिवासी नेता की इस घिनौनी करतूत की कड़ी निंदा की जा रही हैं।

राष्ट्रपति/प्रधानमंत्री को भेजी तस्वीरें

देश की बहु-बेटियों के साथ की गई ये शर्मनाक हरकत ने लोगों के खून में उबाल उठाना शुरू कर दिया है। आदिवासी नेता ने पहले महिलाओं की तस्वीरें खीची, उसके बाद उन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। साथ ही उन तस्वीरों को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बतौर ज्ञापन और प्रेस विज्ञप्ति के रूप में भेज दिया। इन तस्वीरों में महिलाएं न्याय के लिए हाथ जोड़े खड़ी हैं और उनके शरीर के हिस्से आंदोलन के नारे की तख्ती-पोस्टर से ढके हुए हैं। 

रामाश्रय के खिलाफ केस दर्ज की मांग

आदिवासी नेता रामाश्रय की इस गंदी करतूत से सभी हैरान हैं, राजनीति के नाम पर खेले गए इस गंदे खेल ने देश में विरोध की आंधी को जन्म दे दिया है। जब यह बात पीड़ित महिलाओं के गांवों में पहुंची तो आदिवासी समाज आक्रोशित हो गया। इस घटना के बाद से ही दोषी रामाश्रय के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की जा रही है। 

tribal womenनौकरी के लिए निर्वस्त्र आंदोलन

इस मामलें की सूचना जब पीड़ित महिलाओं तक पहुंची, तो उन्होंने बताया कि ये तस्वीरे डीवीसी में बच्चों को नौकरी दिलानें लिए खिचाई गई थी। इन तस्वीरों को रामाश्रय मिश्रा की महिला कार्यकत्रियों द्वारा ही इस शर्त पर खीचा गया था कि ये तस्वीरें सिर्फ राज्य सरकार को भेजी जाएगी। लेकिन हमें इस बात का बिलकुल अंदाजा नहीं था, कि इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा।

रामाश्रय ने मांगी माफी

फोटो के वायरल होने के बाद से ही आदिवासी नेता रामाश्रय को लगातार निंदा का सामना करना पड़ रहा था, जिसके बाद पुलिस केस के डर से नेता ने महिलाओं से माफी की मांग की है। उनका कहना है, मैंने फोटो को सोशल मीडिया पर डालकर जो गलती की है, उसके लिए मैं शर्मिंदा हूं। कृपया मुझे माफ कर दीजिये, मैंने सभी तस्वीरें सोशल मीडिया से हटा दी हैं।

आदिवासी बेरोजगारी से परेशान

आदिवासी नेता ने बताया, महिलाओं ने ये निर्वस्त्र तस्वीरें अपनी मर्जी से खिचाई थी, डीवीसी में नौकरी पाने के लिए ही ये निर्वस्त्र आंदोलन शुरू किया गया था। इसके बावजूद अब तक किसी भी आदिवासी को नौकरी नहीं मिली है। डीवीसी नौकरियों के लिए आदिवासी समाज पिछले 50 साल से संघर्ष कर रहा हैं। सरकार 30 बार समझौता करने के बाद हर बार मुकर गई।

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