कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सी एस कर्णन को बुधवार (20 दिसंबर) को कोलकाता की प्रेजीडेंसी जेल से रिहा कर दिया गया। सीएस कर्नन छह माहीने जेल की सजा काटने के बुधवार को रिहा हो गए। कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को अवमानना के मामले में छह महीने की कैद की सज़ा सुनाई थी। कर्णन उस वक्त कलकत्ता हाईकोर्ट के जज थे। फरवरी 2017 में उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरु की गई थी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जस्टिस सी एस कर्णन के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी। सी एस कर्णन ने मद्रास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के 20 जजों के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाते हुए अनके पत्र लिखे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर इन जजों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था लेकिन इस संबंध में कोई सबूत नहीं दिए थे। इतना ही नहीं सी एस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के दो जजों के खिलाफ एससी-एससी अत्याचार कानून के तहत केस दर्ज करने का आदेश भी दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों पर स्वत: संज्ञान लिया और 8 फरवरी को कर्णन के प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी।

4 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन की मानसिक स्वास्थ्य जांच कराने का भी आदेश दिया था लेकिन इस पर सी एस कर्णन ने कहा थी कि वह पूरी तरह ठीक हैं और मानसिक रूप से भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सीएस कर्णन करीब एक माहीने तक पुलिस से छिपते रहे थे लेकिन आखिरकार 20 जून को पश्चिम बंगाल पुलिस ने कर्णन को तमिलनाडु के कोयंबटूर से गिरफ्तार किया था। कर्णन ने अपनी सज़ा को वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की थी लेकिन कोर्ट ने 19 मई को उनकी यह अपील खारिज कर दी थी।

जस्टिस कर्णन भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ऐसे पहले हाईकोर्ट के कार्यरत जज हैं जिन्हें जेल की सज़ा सुनाई गई।

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