बढ़ती रेल दुर्घटनाओं के बीच भारत सरकार ने स्विट्जरलैंड के साथ टिल्टिंग ट्रेनें विकसित करने का करार किया है। ये ट्रेनें मोड़ पर वैसे ही झुक जाती हैं जैसे घुमावदार रास्तों पर मोटरबाइक झुकती हैं। स्विट्जरलैंड के अलावा ये ट्रेनें 11 और देशों में चलती हैं। इन देशों में इटली, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, फिनलैंड, रूस, चेक गणराज्य, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, चीन, जर्मनी और रूमानिया शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लिउथार्ड की उपस्थिति में रेल मंत्री सुरेश प्रभु और स्विटजरलैंड के राजदूत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया। आपको बता दें इस प्रस्ताव पर दोनों देशों के बीच 2016 से ही बातचीत चल रही थी।

एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक तेज रफ्तार ट्रेन को किसी जगह पर मुड़ना होता है तो चीजें यहां से वहां होने लगती हैं। लेकिन स्विस तकनीक से बनी ट्रेनें ऐसी स्थिति में बाइक की तरह एक तरफ झुक जाती हैं, जिससे भीतर बैठे या खड़े लोगों का संतुलन नहीं बिगड़ता है। इसके चलते इसमें यात्रा करने वाले यात्रियों का सफर ज्यादा आरामदायक होता है।

Trains will bend like a bike at the turn, the Indian government made a deal with Switzerland

इस समझौते के अलावा रेल मंत्रालय ने स्विट्जरलैंड के साथ दो और समझौतों पर हस्ताक्षर किए। पहला समझौता रेल मंत्रालय और स्विस परिसंघ के बीच पर्यावरण, परिवहन और संचार के संघीय विभाग के मध्य रेल क्षेत्र में तकनीकी सहयोग के लिए हुआ। इस समझौते का लक्ष्य ट्रैक्शन रोलिंग स्टॉक, ईएमयू एवं ट्रेन सेट, ट्रैक्शन प्रणोदन उपकरण, माल और यात्री कारें, टिल्टिंग ट्रेन, रेलवे विद्युतीकरण उपकरण आदि क्षेत्रों में सहयोग करना है।

दूसरा समझौता कोंकण रेलवे निगम लिमिटेड (केआरसीएल) और स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ईटीएच) के बीच हुआ। इस समझौते से गोवा में जॉर्ज फर्नांडीज इंस्टीट्यूट ऑफ टनल टेक्नोलॉजी (जीएफआईटीटी) की स्थापना करने में मदद मिलेगी, जिसमें अत्याधुनिक रेल सुरंग बनाने के गुर सिखाये जाएंगे।

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