आज छोटी दिवाली है और कल बड़ी दिवाली है। दिवाली हिंदूओं का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है। त्रेता युग की पौराणिक कहानी हमने रामायण के माध्यम से देखी और सुनी होगी। इस दिन दशरथ पुत्र भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर और माता सीता को रावण की लंका से निकालकर पुनः अपनी जन्मभूमि अयोध्या वापस लाए थे। जिसके उपलक्ष्य में पूरे अयोध्या नगरी में उत्सव मनाया गया था। तभी से दीपावली की शुरुआत हुई। रामायण का अंत यहीं नहीं होता है, इसका दूसरा पहलू अभी बाकी है। क्या आपने सोचा होगा कि आखिर में भगवान राम के वंशज का क्या हुआ होगा या वे कहां है? नहीं, आज हम बात करेंगे भगवान राम के वंशज की। जिसे सुनकर आप भी हैरत में पड़ सकते हैं। जी हां, त्रेता युग के राम के वंशज इस कलयुग में भी है! आइए जानते हैं कि आखिर कौन है राम के वंशज?

जयपुर के एक राजघराने का दावा है कि, उनका घराना भगवान राम का 310वां वंशज है। यह राजघरान अपने शाही अंदाज के लिए जाना जाता  है। बता दें की इस राजघराने की दिवाली मनाने का तरीका भी अलग है। इस दिन पूरा राजपरिवार काले रंग के कपड़े पहनता है और दिवाली मनाता है। वैसे तो राजपरिवार दिवाली के दिन लोगों के बीच नहीं जाता है, लेकिन काले कपड़ों में सजे राजपरिवार की फोटो उप्लब्ध है।

मालूम हो कि जयपुर के पूर्व महाराज भवानी सिंह भगवान राम के बेटे कुश के 309वें वंशज थे। यह बात जयपुर राज घराने की पद्मिनी देवी ने खुद एक टीवी चैनल को इंटरव्यू में बताई थी।

बता दें कि पद्मिनी देवी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर महाराज राजेन्द्र सिंह महारानी इंदिरा देवी की बेटी हैं। पद्मिनी देवी को सिरमौर की राजकुमारी भी कहा जाता है। राजा भवानी सिंह महाराजा सवाई मानसिंह और उनकी पहली पत्नी मरुधर के पुत्र हैं। भवानी सिंह का साल 2011 में निधन हो गया था, जिसके बाद उनके वारिस पद्मनाभ सिंह का राजतिलक हुआ।

बता दें कि भवानी सिंह को सरकार ने ब्रिगेडियर के पद से नवाजा था। उनके निधन के बाद 2011 में वारिस के तौर पर पद्मनाभ सिंह का राजतिलक हुआ। जबकि लक्ष्यराज 2013 में गद्दी पर बैठे थे। लक्ष्यराज के राज तिलक में शिल्पा शेट्टी, सुनंदा थरूर, डिम्पल कपाड़िया समेत कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की थी।

बताया जाता है कि 21 अगस्त, 1912 को जन्मे महाराजा मानसिंह ने तीन शादियां की थी। पहली शादी 1924 में 12 साल की उम्र में जोधपुर के महाराजा सुमेर सिंह की बहन मरुधर कंवर से हुई थी।

मानसिंह की दूसरी शादी उनकी पहली पत्नी की भतीजी किशोर कंवर से 1932 में हुई। इसके बाद 1940 में उन्होंने गायत्री देवी से तीसरी शादी की।

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