कानपुर में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का सच जानने के लिए एपीएन की टीम नवाबगंज ब्लॉक के कल्याणपुर खुर्द पहुंची। यहां एक ही परिसर में पूर्व माध्यमिक स्कूल और प्राथमिक स्कूल चलता है। इन दोनों ही स्कूलों को बीजेपी विधायक नीलीमा कटियार ने गोद लिया है लेकिन क्या गोद लेने के बाद स्कूल में सुविधाओं का विस्तार हुआ है इसका जायजा लेने के लिए सबसे पहले हम पूर्व माध्यमिक स्कूल पहुंचे। इस स्कूल में क्लास 6 से लेकर क्लास 8 तक की पढ़ाई होती है। जब हम स्कूल पहुंचे तो स्कूल परिसर के सामने कई आवारा जानवर घूम रहे थे। स्कूल कैंपस की चारदीवारी टूटी हुई है जिसकी वजह से ये आवारा जानवर आराम से स्कूल कैंपस में घुस जाते हैं और इनकी वजह से यहां हर वक्त बच्चों की सुरक्षा पर खतरा बना रहता है। इसके अलावा स्कूल में बिजली-पानी की समस्या से भी बच्चों और टीचर्स को जूझना पड़ रहा है।

कल्याणपुर खुर्द के पूर्व माध्यमिक स्कूल में छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए बेंच और डेस्क की व्यवस्था तो है लेकिन आधा सत्र बीत जाने के बावजूद कई किताबें अभी तक बच्चों को नहीं मिल पाई है। वहीं बिजली-पानी नहीं होने से भी बच्चों को पढ़ाई में बड़ी दिक्कत हो रही है। गर्मा और बरसात की उमस में बच्चे पसीने से तरबतर रहते है तो वहीं पूर्व माध्यमिक स्कूल में जो हैंडपंप लगा है वो खराब पड़ा है। ऐसे में पानी के बच्चों को सामने के प्राथमिक स्कूल जाना पड़ता है। वहीं स्कूल में साफ-सफाई के लिए कोई सफाईकर्मी नहीं होने से स्वच्छता अभियान भी मुंह के बल पड़ा दिखाई दिया।

कल्याणपुर खुर्द के इस पूर्व माध्यमिक स्कूल परिसर में जहां दिनभर आवारा जानवर धमाचौकड़ी मचाते हैं तो शाम ढलते ही नशेबाजों और अराजकतत्वों का जमावड़ा स्कूल परिसर में लग जाता है। स्कूल कैंपस में जगह-जगह पड़ी शराब की बोतलें, पानी के खाली पाउच और गिलास इस बात की गवाह है। असामजिक तत्व कई बार स्कूल में चोरी की कोशिश भी कर चुके है। इन सारी समस्याओं की जानकारी शिक्षा विभाग के अघिकारियों को भी दी जा चुकी है लेकिन अधिकारियों ने स्कूल की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

कल्याणपुर खुर्द के पूर्व माध्यमिक स्कूल के पास ही यहां का प्राथमिक स्कूल भी है, इस स्कूल में 160 बच्चे पढ़ते हैं। पूर्व माध्यमिक स्कूल का जायजा लेकर जब हम यहां पहुंचे तब तक यहां स्कूल में छुट्टी हो चुकी थी और बच्चें और टीचर स्कूल से निकल रहे थे। जब हमने टीचर से बात की तो पता चला कि प्राथमिक स्कूल में बिजली-पानी की सुविधा तो है लेकिन बच्चों के बैठने के लिए बेंच-डेस्क की व्यवस्था नहीं है। लेकिन यहां भी सबसे बड़ी समस्या स्कूल परिसर में आवारा जानवरों और असमाजिक तत्वों की है।

सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तरह सुविधा संपन्न बनाने और पढ़ाई की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार भले ही सर्व शिक्षा अभियान चलाए, स्कूल चले हम और सब पढ़े, सब बढें का नारा लगाएं, लेकिन अभी भी सरकारी स्कूलों मे सुविधाएं इतनी लचर है कि सरकार के वादों से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं बंधती।

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