तमिलनाडु में देश का पहला आईटी यूनियन बनने जा रहा है। आईटी कंपनियों के लिए यह खबर भले ही दुखदायी हो किंतु आईटी कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारी बढ़ चढ़ कर इस यूनियन में हिस्सा ले रहे हैं। दरअसल एक सप्ताह पहले देश की कई आईटी कंपनियों ने अपने ई कर्मचारियों को कंपनी से बाहर निकाल दिया था। इसके बाद निकाले गए सभी कर्मचारियों ने फैसला लिया कि वह एक यूनियन बनाएंगे जो कर्मचारियों के हितों की रक्षा करे और कर्मचारियों के बीच संपर्क और एकता बनाए। जानकारी के मुताबिक 100 से ज्यादा कर्मचारी इस यूनियन का हिस्सा बन चुके हैं। इस यूनियन का मकसद  महिलाओं की सुरक्षा और आईटी फर्म के लेबर लॉ के अनुसार कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना है।

जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु में 4.5 लाख सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल आईटी सेक्टर में हैं। तमिलनाडु के इस यूनियन में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के आईटी कंपनी के कर्मचारी भी शामिल हो रहे हैं। इन राज्यों में देश की सबसे ज्यादा आईटी सर्विस प्रदान की जाती है। यह यूनियन कई आईटी कंपनियों में चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि उन्हें चिंता है कि कहीं उनके कर्मचारी इस यूनियन से न जुड़ जाएं जिससे कंपनी पर असर पड़ सकता है। बता दें कि बीते साल विप्रो में 2500 और इंफोसिस में 17000 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे थे।

पिछले साल तमिलनाडु सरकार ने आईटी सेक्टर में ट्रेड यूनियन कानून को लेकर कुछ बदलाव किए थे। यह बदलाव 2015 में टीसीएस से सैकड़ो कर्मचारियों को निकालने के बाद किया गया था। यह यूनियन पूर्ण रूप से बनने के कगार पर पहुंच चुका है।

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