सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सीनियर जज, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandravhud) ने फेक न्यूज (Fake News) पर निशाना साधते हुए कहा कि इंसान की प्रवृत्ति दिन पर दिन सनसनीखेज खबरों की ओर आकर्षित होती जा रही है, जो कि अक्सर झूठ पर आधारित होती हैं। ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर झूठ का बोलबाला होता है। कोरोना महामारी कर दौरान WHO ने भी फेक न्यूज़ को इन्फोडेमिक कहते हुए, इससे आगाह किया था। फेक न्यूज का चलन, महामारी की तरह बढ़ता जा रहा है। बुद्धिजीवियों को इस मामले में गंभीरता से सोचकर समुचित पहल करने की आवश्कता है।

दरअसल ‘स्पीकिंग ट्रुथ टू पॉवर, सिटिजंस एंड द लॉ’ विषय पर एक कार्यक्रम के दौरान व्याख्यान दे रहे थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इंसानों में सनसनीखेज खबरों की ओर आकर्षित होने की प्रवृत्ति होती है। ऐसी सनसनीखेज खबरें अक्सर झूठ पर आधारित होती हैं। Whatsapp और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्टडी की गई तो पता चला कि झूठ का बोलबाला है। सच्चाई के बारे में लोगों का चिंतित न होना सत्य के बाद की दुनिया में एक और घटना है।


जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हमारी सच्चाई’ बनाम ‘आपकी सच्चाई’ और सच्चाई की अनदेखी करने की प्रवृत्ति के बीच एक प्रतियोगिता है जो सच्चाई की धारणा के अनुरूप नहीं है। ‘सच्चाई की तलाश’ नागरिकों के लिए प्रमुख आकांक्षा होनी चाहिए। हमारा आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ है। हमें राज्य यानी शासन और प्रशासन के साथ साथ विशेषज्ञों से सवाल करने के लिए तैयार रहना चाहिए।’


जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘झूठ चाहे किसी की ओर से भी प्रचारित हो, राज्य या किसी संगठन, सबके झूठ को बेनकाब करना सार्वजनिक बुद्धिजीवियों का कर्तव्य है। लोकतंत्र में जनता की आस्था की पहली बुनियाद, पहली शर्त भी यही है सत्य का अनुसंधान। ये नहीं कहा जा सकता कि राजनीतिक कारणों से सरकारें झूठ नहीं बोलती या बोलती या प्रचारित नहीं करतीं।’


उन्होंने कहा कि हमारे-आपके बीच की सच्चाई के बीच असल सच्चाई की अनदेखी करने की प्रवृत्ति में एक प्रतियोगिता है, जो सच्चाई की धारणा के अनुरूप नहीं है। व्हाट्सएप और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर स्टडी की गई तो पता चला कि झूठ का ही बोलबाला है।

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