तीनों कृषि कानून को लेकर किसान गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश सिंह टिकैत कर रहे हैं। इस तरह अन्य बॉर्डर पर किसान नेता आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।

आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेताओं के बीच अब फूट पड़ गई है। नेताओं को डर है कि कहीं आंदोलन का क्रेडिट किसी एक इंसान को न मिल जाए। यही कारण है कि उनकी आपस में बन नहीं रही है।

घोर विरोधी मान और चढ़ूनी गुट कभी एक थे। उनमें विचारधारा को लेकर लड़ाई की लंबी कहानी है। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने अपने-अपने गुट बनाने शुरू कर दिए। फिलहाल राष्ट्र स्तर पर टिकैत और मान गुट प्रमुख हैं। गुरनाम सिंह चढ़ूनी की यूनियन फिलहाल प्रदेश स्तर पर रजिस्टर्ड है।

किसान नेताओं को बीच इस कदर फूट है कि उनके प्रवक्ता एक दूसरे के खिलाफ बयान बाजी कर रहे हैं।

भाकियू चढ़ूनी गुट के प्रदेश प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया कि तीनों कृषि कानून किसान विरोधी हैं। प्रदेश ही नहीं देश के कई बड़े शिक्षाविद तक इनको गलत मानते हैं। देश का किसान इन कानूनों का विरोध कर रहा है और पिछले कई माह से दिल्ली बार्डर पर आंदोलनरत हैं। सरकार बैठकें केवल दिखावे के लिए थी। अब तक कई सौ किसानों की मौत आंदोलन के दौरान हो चुकी है। सरकार को किसानों की बिल्कुल भी हमदर्दी नहीं है। 

भाकियू मान गुट के प्रदेश महासचिव प्रवीण मथाना ने बताया कि गुरनाम सिंह चढूनी एक व्यापारी के साथ राजनीति सोच का व्यक्ति है। उनकी पत्नी कुरुक्षेत्र लोकसभा से चुनाव लड़ चुकी हैं। वे किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। उनका पहले मिशन हरियाणा था और अब मिशन पंजाब है। इन्हीं के चलते उनको संयुक्त किसान मोर्चा ने पिछले दिनों बर्खास्त तक कर दिया था। 

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बता दें कि खबरों के अनुसार भारतीय किसान यूनियम का गठन महेंद्र सिंह टिकैत ने नहीं बल्कि मांगेराम मलिक, भूपेंद्र सिंह मान और रामफल कंडेला ने 1971 में गठन किया था। इसके बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय नेता महेंद्र सिंह टिकैत जुड़े। 1992 में दिल्ली वोट क्लब में किसी बात को लेकर फूट पड़ गई। इसके बाद महेंद्र सिंह टिकैत अलग हो गए।

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