कानून की किताब पढ़ने में उम्र गुजार दी, जब फैसला दिया तो कहा- ‘गाय ऑक्‍सीजन लेती और ऑक्‍सीजन ही छोड़ती है’; पढ़ें कोर्ट की 10 टिप्‍पणियां

0
703

जस्टिस को न्‍याय के देवता के रूप में देखते हैं। उनकी कही बातें नजीर बन जाती है। उसका उल्‍लेख आने वाले संबंधित मुकदमों में होने लगता है। पर कई बार ऐसा हुआ है जब न्याय के देवताओं ने ऐसी टिप्पणियां कर दी जिसे लेकर जनता भी सोच में पड़ गई।

इस पूरी खबर में हम कोर्ट में फैसला लिखते समय न्‍यायधीशों द्वारा किए जाने वाले टिप्‍पणियों (Observations Of The Court) का जिक्र कर रहे हैं जो कई बार अजीबों गरीब होते हैं। पढ़ें ऐसी 10 टिप्‍पणियां:

1. मोर ब्रह्मचारी

राजस्‍थान हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज महेश चंद्र शर्मा ने 2017 में अपने रिटायरमेंट के समय मीडिया से बात करते हुए मोर को ब्रह्मचारी कहा था। फिर उन्‍होंने इस पर एक बयान भी जारी किया जिसमें कहा कि मोर ब्रह्मचारी होता है। मोरनी उसके आंसू पीकर ही गर्भवती हो जाती है। जब मीडिया के लोगों ने इस पर सवाल किया तो उनका कहना था कि “आप किसी भी वैज्ञानिक या पशुपालन से जुड़े लोगों से पूछ सकते हैं। सबसे महत्‍वपूर्ण बात है कि मोर के ब्रह्मचारी होने की बात हमारी पवित्र किताबों में भी लिखी है। मीडिया ने सेवानिवृत्त जज से जब इसके वैज्ञानिक आधार के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने कहा कि यह ब्रह्म पुराण में लिखा है जो कि हजारों साल पुराना है। जब उनसे सवाल किया गया कि पुराण तो पौराणिक कथाओं का हिस्‍सा होते हैं और ये वैज्ञानिक पत्रिका नहीं है तो सेवानिवृत्त जज महेश चंद्र शर्मा ने जवाब दिया, “विज्ञान का स्‍थान पौराणिक कथाओं के नीचे आता है।”

अब आप समझ सकते हैं जब वे जज रहे होंगे तब किस प्रकार से मुकदमों पर अपना फैसला सुनाते रहे होंगे।

2. ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट केस

बॉम्बे हाईकोर्ट की जज पुष्पा गनेडीवाला ने अपने एक फैसले में 19 जनवरी 2021 को कहा था कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को बिना ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट के बिना छूना POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा।

कोर्ट ने अपने बयान में कहा था कि उसने बच्ची का कपड़ा बिना उतारे ब्रेस्ट छूने की कोशिश की थी, तो यह यौन शोषण नहीं माना जाएगा।

इस फैसले के बाद पुष्पा गनेडीवाला सोशल मीडिया पर हंसी का पात्र बन गई थी। बता दें कि कानून के अनुसार किसी भी महिला को 14 सकेंड से अधिक घूरने पर जेल हो सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 294 और धारा 509 के तहत गंभीर अपराध माना जाता है। 

जिस देश के कानून में यह लिखा हो कि, किसी भी महिला को 14 सेकेंड से अधिक घूरना अपराध है। गजब बात है इसी कानून की किताब को पढ़ने वाले लोग ऐसी टिप्पणियां करते हैं।

3. पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाना रेप नहीं

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 26 अगस्त 2021 को एक वैवाहिक संबंधों में रेप के आरोपी को बरी कर करते हुए कहा था कि,कानूनी तौर पर शादीशुदा दो लोगों के बीच यौन संबंध बनाना, भले ही जबरन ही क्यों न बनाया गया हो, उसे रेप नहीं कहा जा सकता है।

बता दें कि, एक महिला ने अपने पति और सास-ससुर पर दहेज मांगने और घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे। इसके साथ ही महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि वह उसकी मर्जी के बिना जबरदस्ती अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है।

पूरे मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने कहा था कि सेक्शुअल इंटरकोर्ट या फिर पुरुष द्वारा ऐसी कोई क्रिया रेप नहीं मानी जाएगी। बस शर्त ये है कि उसकी उम्र 18 साल के ज्यादा होनी चाहिए। जज ने आगे कहा कि शिकायत करने वाली महिला आरोपी की कानूनी तौर पर धर्मपत्नी है। ऐसी स्थिति में पति की ओर से उससे यौन संबंध बनाना रेप नहीं कहा जा सकता है। चाहे वो जबरदस्ती या उसकी मर्जी के खिलाफ किया गया हो।

जस्टिस एनके चंद्रवंशी की इस टिप्पणी पर टिप्पणी करना कुछ अजीब सा लग रहा है क्योंकि इसी देश का कानून कहता है कि, किसी भी महिला के साथ जबरदस्ती करना रेप की श्रेणी में आता है।

4. उत्पीड़न की मंशा नहीं हो, तो किसी बच्चे का गाल छूना अपराध नहीं

बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप शिंदे की एकल पीठ ने 27 अगस्त 2021 को यौन शोषण मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था कि, यौन उत्पीड़न की मंशा नहीं हो, तो किसी बच्चे का गाल छूना अपराध नहीं है।

पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए आठ साल की एक बच्ची के साथ यौन शोषण करने वाले 46 वर्षीय मुहम्मद अहमद उल्ला को जमानत दे दी थी। जिसे जुलाई 2020 में पड़ोसी ठाणे जिले की रबोडी पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

अदालत ने कहा, ‘मेरी राय में यौन उत्पीड़न की मंशा के बिना किसी का गाल छूना बाल यौन अपराध संरक्षण कानून की धारा सात के तहत परिभाषित यौन शोषण के अपराध के दायरे में नहीं आता है। रिकार्ड में उपलब्ध कागजात के प्राथमिक मूल्यांकन से यह नहीं लगता कि याचिकाकर्ता ने यौन शोषण की मंशा से पीड़ित के गाल छूए।’

भारत में एक कहावत बड़ी फेमस है, “किसी के मन में क्या चल रहा है यह तो ईश्वर ही जानता है।” अब यहां पर कैसे पता किया जाए कि, किस मनसा से कौन किसे हाथ लगा रहा है।

5. गाय ऑक्‍सीजन लेती और ऑक्‍सीजन ही छोड़ती है

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने 1 सितंबर 2021 को कहा था कि, वैज्ञानिक मानते हैं कि गाय ही एकमात्र पशु है जो ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है तथा गाय के दूध, उससे तैयार दही तथा घी, उसके मूत्र और गोबर से तैयार पंचगव्य कई असाध्य रोगों में लाभकारी है।

कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था, ‘‘हिंदू धर्म के अनुसार, गाय में 33 कोटि देवी देवताओं का वास है। ऋगवेद में गाय को अघन्या, यजुर्वेद में गौर अनुपमेय और अथर्वेद में संपत्तियों का घर कहा गया है। भगवान कृष्ण को सारा ज्ञान गौचरणों से ही प्राप्त हुआ।’’

गायों के संरक्षण को लेकर जस्टिस शेखर कुमार यादव ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि गायों का संरक्षण समाज की नैतिक जिम्मेदारी है।

इस मुद्दे पर कोर्ट ने कई और बातें भी कही थी। कोर्ट के अनुसार, “सिर्फ हिंदुओं, बल्कि मुसलमानों ने भी गाय को संस्कृति का अहम हिस्सा मानते हुए अपने शासनकाल में गायों के वध पर रोक लगाई थी। तार्क-ए-गौकशी, जिसमें गोहत्या न करने की बात लिखी गई है, जिसमें अकबर, हुमायूं और बाबर ने अपनी सल्तनत में गोहत्या न करने की अपील की थी, क्योंकि इससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।”

बता दें कि, कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मुकदमे से जुड़े मामले में कही थी। शख्स को इसी साल मार्च में गोकशी के आरोप में यूपी के संभल जिले से गिरफ्तार किया गया था। आरोपी की याचिका खारिज करते हुए जस्टिस शेखर कुमार यादव ने अपने 12 पेज के आदेश में यह जिक्र किया था।

6. रेप के आरोपी से पूछा, पीड़िता से शादी क्यों नहीं कर लेते

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे  ने 1 मार्च 2021 को रेप केस पर सुनवाई करते हुए आरोपी के वकील से सवाल किया था कि, बलात्कार का आरोपी पीड़िता से शादी क्यों नहीं कर लेता है।

न्यायाधीश ने महज एक सवाल ही किया था लेकिन हैं तो वह न्यायाधीश जिसके पास लोग न्याय की उम्मीद लेकर जाते हैं ना कि मांडवली करने जाते हैं। खास कर रेप जैसे केस में। (मांडवली का अर्थ होता है सुलह)

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे ने आरोपी के वकील से कहा था कि आप आरोपी से पूछिए कि वो पीड़ित से शादी क्यों नही करता। लेकिन ये मत कहिए कि हम आपको शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

बोबडे की इस टिप्पणी पर उस वक्त कई बड़े संस्थानों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि, यदि ऐसा होने लगेगा तो हर व्यक्ति लड़की को पाने के लिए रेप का सहारा लेगा। यह समाज के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

7. आर्थिक आधार पर आरक्षण

इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के नाम से चर्चित मामले में सुप्रीम कोर्ट साल 2018 में कहा था कि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना संविधान में वर्णित समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। अपने फैसले में आरक्षण के संवैधानिक प्रावधान की विस्तृत व्याख्या करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- “संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में आरक्षण का प्रावधान समुदाय के लिए है, न कि व्यक्ति के लिए। आरक्षण का आधार आय और संपत्ति को नहीं माना जा सकता”।

कोर्ट की इस टिप्पणी पर अभी भी बवाल चल ही रहा है।

8. एक भारतीय महिला के लिए अशोभनीय है

कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित की एकल पीठ ने 25 जून 2020 को अपने फैसले में महिला के चरित्र के बारे में कई आक्षेप लगाते हुए कहा था कि, ‘महिला का कहना कि उसके साथ हुए अपराध के बाद वह थकी हुई थी और सो गई थी, एक भारतीय महिला के लिए अशोभनीय है। महिलाएं बलात्कार के बाद ऐसे व्यवहार नहीं करती हैं।’

यह कहते हुए कोर्ट ने आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया था।

बता दें कि मामला बेंगलुरु का था, जहां 27 वर्षीय आरोपी पिछले दो साल से 42 वर्षीय शिकायतकर्ता की कंपनी में काम करता था। आरोप था कि उसने शादी का झूठा वादा करके शिकायतकर्ता के साथ शारीरिक संबंध बनाया था।

कह सकते हैं कि कानून की किसी भी किताब में यह नहीं लिखा है कि, रेप के बाद एक महिला को कैसे बर्ताव करने चाहिए।

9. आरएसएस करता है देश की रक्षा

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज टीके थॉमस ने 5 जनवरी साल 2018 में कहा था कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वजह से भारतीय सुरक्षित हैं। थॉमस ने अपने पूरे बयान में कहा था कि, संविधान, सेना लोकशाही के बाद अगर देश और हिंदुओं की रक्षा कोई करता है तो वह आरएसएस है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केरल के कोट्टायम में संघ प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में रिटायर्ड जस्टिस बतौर अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने स्वंयसेवकों के शारिरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम की जमकर प्रशंसा की। 

उनका ये भी मानना है कि सेक्युलरिज्म का विचार धर्म से अलग नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा था कि सांपो में विष हमले करने के लिए हथियार के तौर पर होता है। इसी तरह मानव की शक्ति का मतलब हमलों से खुद को बचाने के लिए है।

जिन्होंने अपना पूरा जीवन कानून की किताब को पढ़ने में गुजार दी हो जब वो लोग इस तरह की बात करते हैं तो जनता उसी किताब पर संदेह करने लगती है।

10. अकेले आदमी के लिए पीड़िता का मुंह बंद कर के रेप करना असंभव है

बॉम्बे हाईकोर्ट की जज पुष्पा गनेदीवाला ने 30 जनवरी 2021 को कहा था कि, एक अकेले आदमी के लिए पीड़िता का मुंह बंद कर के उसके और अपने कपड़े उतारकर बिना किसी झड़प के बलात्कार करना लगभग असंभव है।

यह टिप्पणी करते हुए जज ने 15 साल की नाबालिग युवती के साथ घर में घुसकर रेप करने वाले 27 वर्षीय जगेश्वर कावले को बरी कर दिया था। कावले को 10 साल की सजा सुनाई गई थी।

इस बात को कैसे साबित किया जाए कि, 15 साल की बच्ची से 27 वर्षीय दरिंदा कहीं अधिक ताकतवर होता है।

यह भी पढ़ें:

POCSO Act पर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बताया गलत, 14 सितंबर को सुनवाई

शादी का वादा कर आपसी सहमती से बनाए शारीरिक संबंध तो पुरुष पूर्ण दोषी नहीं, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की टिप्पणी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here