वैसे तो किसी भी कानून या संशोधन को पारित करने के लिए देश की संसद में बहुमत की आवश्यकता होती है। लेकिन सोचिए अगर किसी मसले पर संसद में बहुमत की जगह पूर्णमत मिल रहा हो तो कितनी बड़ी बात होगी। मतलब ऐसा विषय जिसपर न कोई पक्ष हो न विपक्ष, सब एक कदमताल से उस विषय को संसद में पारित कर दें। अगर सब कुछ ठीक रहा तो शायद महिला आरक्षण बिल पर लोगों को ऐसा देखने को मिले। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर लोकसभा से महिला आरक्षण बिल को सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। खत में सोनिया ने पीएम से गुजारिश की है कि वह लोकसभा में बीजेपी के बहुमत का ‘फायदा’ उठाते हुए इस 21 साल पुराने बिल को पास कराएं।   

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को इस बात का भरोसा दिलाया है कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करेगी। उन्होंने इसे महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। 20 सितंबर को लिखे पत्र में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से कहा है कि महिला आरक्षण बिल राज्यसभा में पास हो चुका है।  लेकिन बहुमत के अभाव में महिला आरक्षण बिल साल 2010 से लंबित पड़ा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास लोकसभा में स्पष्ट बहुमत है। लिहाजा, इसका लाभ उठाते हुए महिला आरक्षण बिल पास कराइए।

बता दें कि महिला आरक्ष विधेयक को देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को संसद में पेश किया था। इस विधेयक के अनुसार लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। लंबे समय के बाद ये 2010 में राज्यसभा से पारित भी हो गया। लेकिन लोकसभा में किसी न किसी कारणवश ये विधेयक पारित नहीं हो पाया। लिहाजा ये विधेयक दोनों सदनों से आजतक पारित नहीं हो पाया है। वर्तमान समय में मोदी सरकार के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है अगर वो चाहे तो इस बिल को लोकसभा में पास करवा सकते हैं।

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