आखिरकार शरद यादव ने अपनी एक नई टीम बना ही ली। जदयू में लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच शरद यादव ने अपनी नई पार्टी की नींव रख दी। इस नई गुट की घोषणा शनिवार को की गई। इसमें चार उपाध्यक्ष, 10 महासचिव और छह सचिव शामिल हैं। शरद गुट की राष्ट्रीय परिषद की गत 8 अक्टूबर को बैठक हुई थी, जिसमें सर्वसम्मति से गुजरात के विधायक छोटूभाई वसावा को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया था। बता दें कि उनकी इस एक्शन का नीतीश गुट ने जवाब भी दिया। जदयू के वरिष्ठ नेता आरसीपी सिंह ने राज्यसभा की सदस्यता के मामले को एथिक्स कमिटी में शरद के ले जाने पर बोला कि शरद यादव ने किस हैसियत से और कौन सी पार्टी का गठन किया है? क्या उनकी पार्टी या गुट को चुनाव आयोग से मान्यता मिल गई है।

शरद यादव ने इसके लिए 19 राज्यों में अपने पदाधिकारियों की लिस्ट जारी की है। बिहार में उन्होंने रमई राम को प्रदेश अध्यक्ष चुना है। पदाधिकारियों के नाम का एलान करते हुए शरद यादव ने कहा कि हम साझी विरासत के कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे और इसकी तैयारी चल रही है। मुंबई में इसका अगला आयोजन होगा। वसावा ने शरद यादव से परामर्श करके पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति की है। यह नियुक्तियां अगले साल 11 मार्च तक के लिए की गई हैं। पार्टी महासचिव अरुण कुमार श्रीवास्तव ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि सांसद अली अनवर, पूर्व सांसद राजवंशी महतो, डॉ. एस.एन. गौतम और सुशीला मोरारे को उपाध्यक्ष बनाया गया है।

शरद यादव के इस कदम के बाद नीतीश खेमें से जेडीयू के दो बड़े नेताओं प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और जेडीयू संसदीय दल के अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने प्रेस कांफ्रेस कर मोर्चा खोला और शरद पर हमला बोला। जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने शरद यादव पर चुटीले अंदाज में हमला बोलते हुए कहा कि शरद जी अपनी सदस्यता बचाने के लिए वकीलों की मदद ले रहे हैं इसी वजह से उन्होंने अपनी पार्टी में वकीलों को रख लिया है।

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