सांसद, विधायक, वरिष्ठ अधिकारी और मैनेजर मालामाल हो रहे है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने इस बात का खुलासा किया है कि भारत में 1993-94 से 2011-12 के बीच सांसदों, विधायकों, वरिष्ठ अधिकारियों और मैनेजरों के औसत वास्तविक दैनिक वेतन में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई।

बताया जा रहा है कि इस दौरान इनका वेतन करीब दोगुना हो गया। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक भारत में विधायकों, वरिष्ठ अधिकारियों और मैनेजरों की सैलरी में 98 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन की ओर से उपलब्ध डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि प्रोफेश्नस की सैलरी में 90 फीसदी का इजाफा हुआ है।

करीब 2 दशकों में प्लांट और मशीनों के ऑपरेटरों की औसत वास्तविक दैनिक सैलरी सिर्फ 44 प्रतिशत बढ़ी। पेशेवरों की जिन श्रेणियों में वेतन में प्रतिशत के मामले में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई, उनमें 2004-05 के बाद बढ़ोतरी की गति धीमी हुई। वहीं, जिन श्रेणियों में सबसे कम वेतन बढ़ोतरी हुई, उनमें 2004-05 के बाद बढ़ोतरी की रफ्तार बढ़ी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कम कौशल वाले व्यवसायों में 2004-05 से 2011-12 के बीच दैनिक वेतन 3.7 प्रतिशत बढ़ा, इस वजह से इनके कुल वेतन बढ़ोतरी में कमी आई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि शहरी भारत में 1993-94 से 2001-05 की अवधि में समान रफ्तार से वेतन बढ़ोतरी हुई, खासकर प्रफेशनल और प्रशासनिक श्रेणी में। रिपोर्ट के मुताबिक वेतन आयोग की वजह से न सिर्फ सरकारी और पब्लिक सेक्टर में उच्च वेतन बढ़ोतरी हुई बल्कि इसका असर प्राइवेट सेक्टर की सैलरी पर भी पड़ा। खासकर प्राइवेट सेक्टर में वरिष्ठ स्तर पर ज्यादा वेतन बढ़ोतरी हुई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here