घातक S-400 Missile की पहली खेप भारत आयी, अब दुश्मनों की खैर नहीं

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S-400 Missile : रूस में बने वज्र के समान घातक एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की पहली खेप भारत पहुंच गई है। एंटी एयर डिफेंस सिस्टम के मिलने से भारत की ताकत में इजाफा हुआ है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से इसकी सप्लाई जल्द करने का वादा किया था। अगले साल इसकी दूसरी खेप भी आने की उम्मीद है। भारत को S-400 की 5 यूनिट मिलेंगी। चीन और पाकिस्तान के गलत मनसूबों को देखते हुए भारत ने इस एयर डिफेंस सिस्टम की डील रूस से की थी। भारत को एस-400 की बहुत जरूरत थी। हालांकि, अमेरिका इस सौदे का शुरुआत से ही विरोध कर रहा है।

बता दें कि इस सिस्टम को पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। यहां से पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से एक साथ निपटा जा सकता है। अक्टूबर 2018 में रूस और भारत में S-400 की सप्लाई को लेकर डील हुई थी।

S-400 Missile के लिए कब हुई थी डील ?

भारत और रूस के बीच S-400 की 5 यूनिट के लिए 2018 में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की डील हुई थी।रूस और भारत की गहरी दोस्ती को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, कि ये मिसाइस वर्ष 2021 के मई तक भारत पहुंच जाएगी। लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण सप्लाई में थोड़ा विलंब हुआ, हालांकि S-400 एक प्रकार का एयर डिफेंस सिस्टम है, जो हवा के जरिए हो रहे अटैक को रोकने में सक्षम है। ये दुश्मन देशों की मिसाइल, ड्रोन, रॉकेट लॉन्चर और फाइटर जेट्स के हमले को रोकने में बेहद कारगर है। इस एयर डिफेंस सिस्टम को रूस के एलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने बनाया है।

S-400 Missile
S-400 Missile

इस एयर डिफेंस सिस्टम की खासियत ?

S-400 Missile की सबसे बड़ी खासियत इसका हल्का होना है। यानी, रोड के जरिए इसे कहीं भी लाया और ले जाया जा सकता है। 92N6E इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयर्ड फेज्ड ऐरो रडार लगे होने से ये करीब 600 किलोमीटर की दूरी से ही मल्टिपल टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है। सबसे बड़ी बात इसकी यह है कि ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ये ऑपरेशन के लिए तैयार हो जाता है।

S-400 की एक यूनिट से एक ही बार में 160 ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है। इतना ही नहीं एक टारगेट के लिए 2 मिसाइल भी एक समय पर लॉन्च की जा सकती हैं। नाम की बात करें तो, S-400 में 400 इस सिस्टम की रेंज को दर्शाता है। भारत को जो सिस्टम मिल रहा है, उसकी रेंज 400 किलोमीटर तक सीमित है यानी ये 400 किलोमीटर दूर से ही अपने टारगेट को डिटेक्ट कर काउंटर अटैक कर सकता है। यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी अपने टारगेट पर अटैक कर सकता है।

दुश्मन की मिसाइल पहचानने में है माहिर

इस डिफेंस सिस्टम में सर्विलांस रडार लगा है, इससे ये अपने ऑपरेशनल एरिया के इर्द-गिर्द सुरक्षा का एक घेरा बना लेता है। जैसे ही इस घेरे में कोई मिसाइल या दूसरा वेपन एंटर करता है, रडार उसे डिटेक्ट कर लेता है और कमांड व्हीकल को अलर्ट भेज देता है। अलर्ट मिलते ही काउंटर अटैक के लिए मिसाइल लॉन्च करता है।

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