भारत-चीन के बीच में हुए डोकलाम विवाद पर एक नया खुलासा सामने आया है। यह खुलासा एक किताब द्वारा किया गया है। किताब में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पहल करके चीन के साथ डोकलाम विवाद सुलझाया था। यह खुलासा रणनीतिक विशेषज्ञ नितन ए. गोखले ने अपने किताब ‘सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वे’ में किया है। किताब के मुताबिक इस विवाद का हल हेमबर्ग में जी-20 सम्मेलन के दौरान हुई पीएम नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात से निकला था।
किताब के मुताबिक यह मोदी और शी जिनपिंग के बीच अघोषित मुलाकात थी, इसका जी-20 सम्मेलन से कोई लेना देना नहीं था। शुक्रवार को उपराष्ट्रपति एम.वैंकैया नायडू ने इस किताब का विमोचन किया था।
किताब के मुताबिक तात्कालिक बैठक के गवाह रहे भारतीय राजनायिकों के अनुसार मोदी और जिनपिंग के बीच हुई अघोषित मुलाकात के बाद चीनी खेमा चकित रह गया था।
किताब में कहा गया कि इस छोटी सी मुलाकात के दौरान, मोदी ने जिनपिंग को सलाह दी कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाकार अजित डोभाल और चीन के स्टेट काउंसलर यांग जीची को डोकलाम विवाद सुलझाने की अगुवाई करनी चाहिए।
इस किताब में लिखा गया है कि पीएम मोदी ने जिनपिंग से कहा कि, ‘हमारे रणनीतिक संबंध डोकलाम जैसे इन छोटे सामरिक मुद्दों से बड़े हैं।’ इस मुलाकात के 15 दिनों बाद, डोभाल ब्रिक्स एनएसए बैठक के लिए बीजिंग गए। इस बीच भारतीय दल ने राजदूत विजय गोखले की अगुवाई में चीन में 38 बैठकें कीं।
किताब में यह भी खुलासा किया गया है कि इस विवाद की शुरुआत मई के अंतिम दिनों में हुई, जिसे तीन चरणों में बांटा जा सकता है। पहला चरण मई के अंत से 25 जून तक गतिरोध, दूसरा चरण 26 जून से 14 अगस्त के बीच दोनों तरफ की सेनाओं का आमने-सामने आना और तीसरा चरण 15 अगस्त से 28 अगस्त के बीच विवाद अपने चरम पर होना शामिल हैं।
किताब में बताया गया कि, 20 जून को नाथूला में मेजर-जनरल अधिकारी स्तर की बातचीत हुई, लेकिन इसके बाद भी तनाव समाप्त नहीं हुआ और 14 अगस्त को तनाव अपने चरम पर पहुंच गया। आखिरकार दोनों देशों की पहल पर 28 अगस्त को डोकलाम विवाद समाप्त हुआ।