लोकतांत्रिक व्यवस्था में वैचारिक विरोध अच्छी बात है। स्वस्थ्य लोकतंत्र की ये अच्छी पहचान भी है। ऐसे विरोध में विरोधी दलों के प्रति वैमनस्यता नहीं होती। दलों के बीच कड़वाहट नहीं होती। व्यक्तिगत विरोध तो बहुत दूर की बात है। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। कुछ नेताओं की जुबान से वैचारिक विरोध की बजाय व्यक्तिगत कड़वाहट बाहर आने लगी है। यूपी के मंत्री सत्यदेव पचौरी विरोधियों पर निशाना साधने लगे तो कुछ ऐसा ही कर गए।

उत्तर प्रदेश सरकार में खादी ग्रामोद्योग एवं रेशम विभाग के मंत्री सत्यदेव पचौरी जालौन पहुंचे तो थे उरई से विधायक गौरीशंकर वर्मा के जन सहयोग कार्यालय का उदघाटन करने। लेकिन जनसभा को संबोधित करते-करते विवादित बोल, बोल गए। विधायक के कार्यालय का उद्घाटन करने के बाद पचौरी ने मोदी और योगी सरकार की शान में जमकर कसीदे पढ़े। मोदी और योगी सरकार को जनता की सरकार बताया। जनता के लिए काम करने वाली सरकार बताया। दोनों सरकारों को भ्रष्टाचार से मुक्त सरकार भी बताया और इसी मुद्दे पर उन्होंने विरोधियों को भी घेरा।

पचौरी ने कहा कि किसी भी हाल में सत्ता में आने के लिए सारे भ्रष्टाचारी एक हो गए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जैसे चोर चोर मौसेरे भाई होते हैं, उसी तरह सारे भ्रष्टाचारी चोरी करने के लिए एक हो गए हैं। विरोधी दलों के खिलाफ बदजुबानी करने वाले नेताओं की जमात में सत्यदेव पचौरी कोई पहले नेता या मंत्री नहीं है और न ही वो आखिरी नेता होने वाले हैं।

आमतौर पर चुनाव से पहले इस तरह के बयानों की बयार बहने लगती है। किसी को कोई मौत का सौदागर नजर आता है तो किसी को कोई खून की दलाली करने वाला। सवाल उठता है कि सियासत के इस खेल में नेताओं की जुबान यूं ही फिसलती है या वोट बैंक को साधने के लिए जान बूझकर ऐसे बयान दिए जाते हैं। पर एक बात तो तय है जनता बहुत समझदार है और नेताओं की इस बदजुबानी को भी अच्छी तरह से समझती है।

एपीएन ब्यूरो

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