प्रदेश में बरसात से हाहाकार मचा है। नदियां उफान पर हैं और उफनती नदियां लोगों के घरों को अपने साथ बहा ले जाने पर अमादा हैं। पहाड़ टूट रहे हैं, लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं और सरकार के नुमाइंदें सैर सपाटे के लिए विदेश का रुख कर रहे हैं। नेता से लेकर नौकरशाह तक के मजे हैं, जनता मरती है तो मरे।
उत्तराखंड की हसीन वादियों में सर्पीली सी लहराती बहने वाली नदियों ने इस वक्त फूफकार मारते नाग के समान रूप धर लिया है। जंगल, झाड़, घर और द्वार सबकुछ अपने साथ बहा ले जाने को बेताब दिख रही नदियों के पानी में लगातार वृद्धि हो रही है। कितने लोगों के आशियाना उजड़ गए हैं न जाने कितने लोग राहत शिविरों में पहुंच गए हैं। उन्हें न भरपेट खाने को मिल रहा है न भरपूर ही नींद ही नसीब हो रही है। लेकिन राज्य के हाकिम और मुलाजिमों की ऐश है।
वातानुकूलित कमरों और दफ्तरों में विराज करने वाले नेताओं और नौकरशाहों को विदेशी दौरों से ही फुरसत नहीं है। अभी कुछ दिन पहले ही बड़े-बड़े नेता विदेशों से लौटे हैं। हर बार विदेशी दौरों के पीछे अपना तर्क भी होता है। अब दुनिया मेट्रो निर्माण के लिए भारत की तरफ देख रही है। डीएमआरसी देश में कई शहरों में मेट्रो का निर्माण करा रही है और राज्य के अधिकारी मेट्रो निर्माण का कामकाज देखने विदेश जा रहे हैं। वो वहां क्या देखेंगे, आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं।
अब आपको बता दें कि कौन-कौन नेता और अधिकारी विदेश दौरे पर है या जाने वाला है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत। सल्ट से सुरेंद्र सिंह जीना, हरिद्वार के रानीपुर विधानसभा सीट से विधायक आदेश चौहान ,लोहाघाट से पुरल ,बागेश्वर से चंदन राम दास के साथ साथ 5 अधिकारी भी विदेशी दौरे पर हैं। ये लोग स्विटजरलैंड और जर्मनी के साथ ही दूसरे देशों का भी दौरा करेंगे। ये लोग मेट्रो के साथ ही रोप-वे तकनीक की जानकारी लेने गए हैं। चुकी इस तरह की यात्राएं हर सरकार में होती हैं लिहाजा हर मुद्दे पर सरकार को घेरने वाली कांग्रेस इस मसले पर सरकार के साथ नजर आ रही है।
तकनीकी जानकारी और विकास संबंधी दूसरी योजनाओं के बारे में जानकारी लेने के लिए विदेश जाने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन जब बेहतर तकनीक देश ही हो और राज्य मुश्किल दौर से गुजर रहा हो। ऐसे समय में विदेशी दौरों को जायज ठहराना उचित नहीं प्रतीत होता। इसे समय और पैसे की बरबादी ही कहा जाएगा।
एपीएन ब्यूरो