राजस्थान में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। 33 में से 31 जिले स्वाइन फ्लू की चपेट में आ चुके हैं। 1 से 21 जनवरी तक 51 मौतें हो चुकी हैं। सोमवार को 102 और मरीज सामने आए। सिर्फ जनवरी में ही देखें तो मरीजों का आंकड़ा 1335 तक पहुंच चुका है। सोमवार को सामने आए मरीजों में 47 तो जयपुर से ही हैं। जयपुर में पांच मौतें हो चुकी हैं। वहीं, सीकर, नागौर, उदयपुर में तीन-तीन मौतें हुई हैं। अजमेर, टोंक, पाली, जालोर, बीकानेर, चूरू, राजसमंद और श्रीगंगानगर में एक-एक मौत हुई है। जैसलमेर, बाड़मेर, प्रतापगढ़ और कोटा ऐसे जिले हैं, जहां दो-दो जानें स्वाइन फ्लू ने ली हैं।

राजस्थान अब जीका के बाद स्वाइन फ्लू में देश में नंबर 1 हो चुका है। पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा – “देश भर में स्वाइन फ्लू से जितनी मौतें नहीं हुई, उससे ज्यादा मौतें पिछले 20 दिनों में राजस्थान में हो गईं। सरकार सिर्फ आंकड़े छुपाने का काम कर रही है। सरकार ने रेलवे स्टेशन, स्कूलों में स्क्रीनिंग की कोई व्यवस्था भी नहीं की है।”

चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि 5367 सैंपल्स की जांच हुई है। इनमें 1233 पॉजिटिव पाए गए। इनमें से 4% की मौत हुई है। जिनका मुझे अफसोस है। उदयपुर में दो डॉक्टर छुट्‌टी पर हैं। राजसमंद के आरके अस्पताल में 36 में से 31 डॉक्टर कार्यरत हैं और पांच छुट्टी पर हैं। कोटा में दो मौतें हुई हैं। यहां सरकारी अस्पताल में दो डॉक्टर छुट्‌टी पर हैं। अजमेर में कुल 391 डॉक्टर हैं।

इनमें से 17 डॉक्टर छुट्‌टी पर हैं। बाड़मेर में दो डॉक्टर छुट्‌टी पर हैं। वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। श्रीगंगानगर पीएमओ में एक और अन्य सरकारी संस्थानों में 7 डॉक्टर छुट्टी पर। राजस्थान पहले नंबर पर है। दूसरे पर पंजाब है, जहां 50 पॉजिटिव में से 6 की मौतें हुई हैं। तीसरे पर जम्मू-कश्मीर है, जहां 40 पॉजिटिव में 5 की मौत हुई है।

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