एकतरफ जहां धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले पर समलैंगिक समुदाय में खुशी की लहर है तो वहीं दूसरी तरफ धर्मगुरुओं ने इसको लेकर ऐतराज जताया है। धर्मगुरुओं ने इस फैसले को धर्म और शास्त्रों के अनुसार गलत बताया है। शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि समलैंगिकता को यदि धर्म से अलग भी कर दिया जाए तो हिंदुस्तान की तहजीब, यहां की संस्कृति इसके खिलाफ रही हैं। यदि यह अपराध नहीं, गलत नहीं तो फिर तीन-चार शादियां भी गलत नहीं माना जाएगा। हर कोई अपनी मर्जी से कुछ भी करता रहेगा। सरकार को इस पर रोक लगाना चाहिए। वहीं अखिल भारत हिंदू समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो समलैंगिकता के समर्थन में निर्णय दिया है, वह समाज, राष्ट्र के हित में कदापि नहीं है, इससे न सिर्फ समाज में अराजकता को बल मिलेगा बल्कि समाज का चारित्रिक पतन होगा एवं युवा वर्ग बर्बाद होगा तथा अपराध में और बढ़ोत्तरी होगी। यह किसी भी धर्म के अनुरूप नहीं है।

स्वामी चक्रपाणि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन किया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संसद से तत्काल रोक लगाते हुए अध्यादेश के माध्यम से धारा 377 को अपराध की श्रेणी में रखते हुए कड़े से कड़े कानून बनाया जाए, ताकि देश के युवा वर्ग के चारित्रिक पतन से रोका जाए एवं देश की विश्व स्तर पर छवि खराब न हो सके।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 में संशोधन करते हुए बालिगों द्वारा आपसी सहमति से संबंध बनाने की गलत नहीं ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को मनमाना करार देते हुए व्यक्तिगत चुनाव को सम्मान देने की बात कही है।

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