किसी भी कुप्रथा को मिटाना आवश्यक है लेकिन उसे मिटाने के लिए  किसी नए कुप्रथा को जन्म दे देना गलत है। लेकिन बिहार समेत कई राज्यों में कुछ ऐसा ही हो रहा है। अगर ऐसे ही चलता रहा है तो आने वाले भविष्य में ये भी एक प्रथा बन जाएगी और लोग इसको अपनाने की आदत भी डाल लेंगे। दरअसल, बिहार में दूल्हों को अगवा कर ‘पकड़वा विवाह’ करने का चलन बढ़ता जा रहा है। पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में 3405 दूल्हों को अगवा कर उन्हें शादी के लिए मजबूर किया गया था जबकि इससे पहले 2015 में 3000 और 2014 में 2526 दूल्हों की शादी बंदूक के जोर पर कराई गई।

बिहार में दहेजप्रथा और बाल विवाह रोकने के लिए मुहिम चलाई जा रही है। इन दोनों कुप्रथाओं पर रोक के लिए कड़े कानून का प्रावधान है। लेकिन, दहेज प्रथा का एक नकारात्मक प्रभाव यह भी है कि कुछ राज्यों में योग्य युवकों का अपहरण कर उनकी शादी जबरन करा दी जाती है। डरा-धमका कर या बंदूक की नोंक पर होने वाली ऐसी शादियां बिहार में वर्षों से होती आ रही हैं। हाल ही में बिहार के एक गांव में एक इंजिनियर की जबरन शादी कराई गई थी, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक एक अनुमान लगाया जा रहा है कि बिहार में प्रतिदिन ऐसी नौ शादियां होती है। वहीं इस घटनाओं के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को आदेश जारी किया है कि वो शादियों के मौसम में इसपर नजर बनाए रखे।

बिहार राज्य में सीधे-साधे और पढ़े-लिखे लड़कों को बलपूर्वक पकड़ा जाता है और उनकी अपनी बेटी से शादी करवा दी जाती है। लड़की के परिवारजन अपने रिश्तेदारों के साथ लड़के को पकड़ते हैं और बंदूक की नोक पर अपनी लड़की के साथ शादी करा देते हैं। ऐसे में कई लड़के शादियों के बंधन में बंध चुके हैं।

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