भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल गुजरात लॉ यूनिवर्सिटी में एक लेक्चर के दौरान 13 हजार के पीएनबी घोटाले पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उर्जित पटेल ने बैंकिग घोटाले पर दुख जाहिर कर इसे देश के भविष्य पर डाका बताया है।

पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली के नियामक संस्थाओं पर सवाल उठाने के बाद पटेल ने कहा है कि वे पत्थर खाने और नीलकंठ की तरह विष पीने को तैयार हैं। उर्जित पटेल ने बैंकों में धोखाधड़ी पर गहरा अफसोस जताते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक नीलकंठ की तरह विषपान करेगा और अपने ऊपर फेंके जा रहे पत्थरों का सामना करेगा, लेकिन हर बार पहले से बेहतर होने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ेगा।

पटेल ने कहा, ‘मैंने आज बोलना इसलिए तय किया कि यह बता सकूं, बैंकिंग क्षेत्र के घोटाले और अनियमितताओं से आरबीआई भी गुस्सा, तकलीफ और दर्द महसूस करता है। ’

गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पटेल ने कहा कि देश में निजी और सार्वजनिक या सहाकरी क्षेत्र के बैंकों के नियमन का रिजर्व बैंक का अधिकार एक जैसा नहीं है। उन्होंने कहा कि आरबीआई की नियामकीय क्षमता निजी बैंकों की तुलना में सार्वजनिक बैंकों के लिए कमजोर है।

उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि बैंकिंग क्षेत्र की नियामकीय क्षमता को संशोधित कर स्वामित्व निरपेक्ष बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए बैक विनियमन कानून में संशोधन की जरूरत है और यह संशोधन टुकड़े में नहीं बल्कि बल्कि पूरी तरह होना चाहिए। यह एक न्यूनतम आवश्यकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित ने कहा कि देश में जांच और नियामकीय प्रक्रियाओं में अच्छा खास समय लग जाता है और इसकी सही वजहें भी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों की बाजार अनुशासन व्यवस्था निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कमजोर है और इसके कारण भी हैं।

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