भारत में भयंकर तबाही मचाने के बाद कोरोना की दूसरी लहर कम हो रही है। इस मौके पर राज्यों को अनलॉक किया जा रहा है। साथ ही तीसरी लहर की तैयारी भी तेज हो गई है। जानकारों का कहना है कि, नवंबर-दिसंबर तक देश में कोरोना की तीसरी लहर दस्तक दे सकती है। यह बच्चों को अपना शिकार बनाएगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है।
देश की राजधानी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सोमवार से बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू हो रहा है। कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने बनाया है। कोवैक्सीन के बच्चों पर होने वाले इस क्लीनिकल ट्रायल के लिए डीसीजीआई ने 11 मई को अपनी मंजूरी दी थी।
परीक्षण के पहले चरण में 18 बच्चों को शामिल किया जाएगा। इस पूरे परीक्षण आठ सप्ताह में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें बच्चों पर वैक्सीन के असर और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का अध्ययन किया जाएगा। को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
दिल्ली समेत नागपुर और पटना में भी वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है। पटना स्थित एम्स में 3 जून से ही 2-18 साल के बच्चों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण के लिए कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। । इसके तहत बच्चों की पूरी स्क्रीनिंग की जा रही है। उनके पूरी तरह से स्वस्थ्य होने के बाद ही उनको इसकी खुराक दी गई है।
कोवैक्सीन का क्लीनिक ट्रायल के लिए नागपुर स्थित मेडिट्रिना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस को भी चुना गया है। पटना की ही बात करें तो कोवैक्सीन का ये ट्रायल 12 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों पर किया जा रहा है। इसके बाद इसको 6-12 और फिर 2-6 वर्ष के बच्चों पर किया जाएगा।
आप को बता दे कि, अधिकतर देशों ने बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमती दे दी है। वहीं डब्ल्यूएचओ का बयान एकदम उलट है। संस्था का कहना है कि, वैक्सीन की जरूरत बच्चों को नहीं है। इसकी सबसे अधिक आवश्यकता अधिक उम्र वालों को है।